शब्द का अर्थ
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समाध :
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स्त्री०=समाधि।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
समाधा :
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पुं० [सं० सम-आ√धा (रखना)+अङ्] १. निकारण। निपटारा। २. विरोध दूर करा। ३. सिद्धान्त। ४. दे० ‘समाधान’। |
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समानार्थी शब्द-
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समाधान :
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पुं० [सं० सम-आ√धृ (रखना)+ल्युट-अन] [वि० समाधनीय] १. एक ही आधान या स्थल पर रखना। २. मन को सब ओर से हटाकर एकाग्र करना और ब्रह्म में लीन करना। ३. संशय दूर करना। ४. आपत्ति की निवृत्ति करना। ५. समस्या का निराकरण करना। ६. असंगति भ्रांति विरोध आदि दूर करना। ७. नियम। ८. वह युक्ति या योजना जिसके द्वारा समस्या हल की जाती हो। ९. तपस्या। १॰. अनुसंधान। अन्वेषण। ११. किसी के कथन या मत की पुष्टि। समर्थन। १२. ध्यान। १३. नाटक की मुख्य संधि के १२ अंगों में से एक अंग जिसमें बीज ऐसे रूप में फिर से प्रदर्सित किया जाता है कि वह नायक अथवा नायिका का अभिमत प्रतीत होता है। |
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समाधानना :
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स [सं० समाधान] १. किसी का समाधान करना। संशय दूर करना। २. सान्त्वना देना। |
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समाधि :
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स्त्री० [सं०] १. ईश्वर के ध्यान में मग्न होना। २. योग साधना का चरम, फल जिसमें मनुष्य सब क्लेशों से मुक्त होकर अनेक प्रकार की शक्तियाँ प्राप्त करता है। यह चार प्रकार की कही गई है। संप्रज्ञात, सवितर्क, सविचार और सानन्द। क्रि० प्र०—लगना।—लगाना। ३. वह स्थान जहाँ किसी का मृत शरीर या अस्थियाँ गाड़ी गई हों। ४. प्राणियों की वह अवस्था जिसमें उनकी संज्ञा या चेतना नष्ट हो जाती है और वे कोई शारीरिक क्रिया नहीं करते। ५. साहित्य में एक अलंकार जिसमें किसी आकस्मिक कारण से सहायता मिलने पर किसी के कार्य में सुगमता होने का उल्लेख मिलता है। इसे ‘समाहित’ भी कहते हैं। ६. साहित्य में काव्य का एक गुण जिसके द्वारा दो घटनाओं का दैव संयोग से एक ही समय में होना प्रकट होता है और जिसके ही क्रिया का दोनों कर्ताओं के साथ अन्वय होता है। ७. किसी असंभव या असाध्य कार्य के लिए किया जानेवाला प्रयत्न। ८. किसी कष्टसाध्य काम के लिए मन एकाग्र करना। ९. झगड़े या विवाद का अंत या समाप्ति करना। १॰. चुप्पी। मौन। ११. समर्थन। १२. नियम। १३.ग्रहण या अंगीकृत करना। १४. आरोप। १५. प्रतिज्ञा। १६. बदला चुकाना। प्रतिशोध। १७, निद्रा। नींद। स्त्री०=समाधान।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) (क्व)। उदाहरण—व्याधि भूत जनित उपाधि काहू खल की समाधि कीजै तुलसी को जानि जन फुरकै।—तुलसी। |
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समाधि-क्षेत्र :
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पुं० [सं० ष० त०] १. वह स्थान जहाँ योगियों के मृत शरीर गाड़े जाते हों। २. मुरदे गाड़ने की जगह। कब्रिस्तान। |
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समाधि-लेख :
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पुं० [सं०] वह लेख जो किसी मृत व्यक्ति का संक्षिप्त परिचय कराने के लिए उसकी समाधि या कब्र पर लिखा या अंकित किया रहता है (एपिटैफ़)। |
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समाधि-स्थल :
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पुं० [सं० ष० त०] ‘समाधि-क्षेत्र’। |
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समाधित :
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भू० कृ० [सं० सम-आ√धा (रखना)+क्त] जिसने समाधि लगाई हो। समाधि की अवस्था को प्राप्त। |
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समाधित्व :
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पुं० [सं० समाधि-त्व] समाधि का गुण, धर्म या भाव। |
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समाधिदशा :
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स्त्री० [सं० ष० त०] योग में वह दशा जब योगी समाधि में स्थित होता और तन्मय होकर परमात्मा में लीन हो जाता और चारों ओर ब्रह्म ही ब्रह्म देखता है। |
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समाधिस्थ :
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वि० [सं० समाधि√स्था (ठहरना)+क] जो समाधि में स्थित हो। जो समाधि लगाये हुए हों। |
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समाधी (धिन्) :
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वि० [सं० समाधि+इनि] समाधिस्थ। स्त्री०=समाधि। |
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समाधेय :
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वि० [सं० सम-आ√धा (रखना)+यत्] जिसका समाधान हो सके या होने को हो। |
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