सर्वस/sarvas

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सर्वस  : पुं०=सर्वस्य।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
सर्वसर  : पुं० [फा०] एक प्रकार का रोग जिसमें मुँह में छाले पड़ जाते हैं और खुजली तथा पीड़ा होती है।
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सर्वसाक्षी (क्षिन्)  : पुं० [सं०] १. ईश्वर। परमात्मा। २. अग्नि। आग। ३. वायु। हवा।
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सर्वसाधन  : पुं० [सं०] १. सोना। स्वर्ण। २. धन। दौलत। ३. शिव का एक नाम। वि० सब का साधन।
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सर्वस्तोम  : पुं० [सं०] एक प्रकार का एकाह यज्ञ।
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सर्वस्य-संधि  : स्त्री० [सं०] प्राचीन भारतीय राजनीति में शत्रु को अपना सर्वस्य देकर उससे की जानेवाली संधि।
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सर्वस्व  : पुं० [सं०] १. किसी की दृष्टि से वह सारी संपत्ति जिसका वह स्वामी हो। जैसा—लड़के की पढ़ाई में उसने सर्वस्य गँवा दिया। २. अमूल्य तथा महत्वपूर्ण पदार्थ। जैसा—यही लड़का उस बुढ़िया का सर्वस्य था।
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सर्वस्वाहा  : स्त्री० दे० ‘सर्वक्षार’।
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सर्वस्वी (स्विन्)  : पुं० [सं०] [स्त्री० सर्वस्विनी] नापित पिता और गोप माता से उत्पन्न एक संकर जाति। (ब्रह्म-वैवर्त पुराण)।
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