शब्द का अर्थ
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					सहर					 :
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					स्त्री० [अ०] प्रातःकाल। सबेरा। पुं० १. =शहर। २. =सिहोर। (वृक्ष)। पुं० [अ० सेह्र] जादू। टोना।				 | 
			
			
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					सहर-गही					 :
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					स्त्री० [अ० सहर+फा० गह] वह आहार जो किसी दिन निर्जल व्रत रखने से पूर्व प्रातः किया जाता है। सरघी। विशेष—मुसलमान रोजों में और सधवा हिन्दू स्त्रियाँ तीज, करवाचौथ आदि के दिन सहरगही खाती हैं।				 | 
			
			
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					सहरना					 :
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					अ०=सिहरना।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सहरा					 :
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					पुं० [अ०] [वि० सहराई] १. वन। जंगल। २. चित्रकला में चित्र की वह भूमिका जिसमें जंगल, पहाड़ आदि दिखाये गये हों। ३. सियाहदोश नामक जंतु। पु० जे० ‘सेहरा’।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					सहराई					 :
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					वि० [अ०] १. जंगली। वन्य। २. लाक्षणिक अर्थ में पागल।				 | 
			
			
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					सहराज्य					 :
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					पुं० [सं०] ऐसा राज्य जिसमें दो या अधिक प्रभुसत्ताएँ अथवा राष्ट्र मिलकर शासन करते हों (कन्डोमीनियम)।				 | 
			
			
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					सहराना					 :
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					स०=सहलाना। अ०=सिहरना।				 | 
			
			
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					सहरिया					 :
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					पुं० [?] एक प्रकार का गेहूँ। वि०=शहरी (नागर)।				 | 
			
			
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					सहरी					 :
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					स्त्री० [सं० शफरी] सफरी। मछली। शफरी। स्त्री०=सहर-गही।वि० [सं० सदृशी, प्रा० सरिसी] सदृश। समान। (राज०) उदाहरण—जूँ सहरी भ्रूह नयण मृग जूता।—प्रिथीराज। वि०=शहरी (नागर)।				 | 
			
			
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					सहरुण					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] चंद्रमा के एक घोड़े का नाम।				 | 
			
			
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