शब्द का अर्थ
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					सहस्रा					 :
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					स्त्री० [सं० सहस्त्र—टाप्] १. मात्रिका। अंबष्टा। मोइया। २. मयूरशिखा।				 | 
			
			
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					सहस्रांक					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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					सहस्राक्ष					 :
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					विं० [सं० ब० स०] हजार आँखोंवालापुं० ब्रह्मा। १. इंद्र। २. विष्णु ३. उत्पलाक्षी देवी का पीठ स्थान। (देवी भागवत)				 | 
			
			
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					सहस्राधिपति					 :
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					पुं० [सं० ष० त०] प्राचीन भारत में वह अधिकारी जो किसी राजा की ओर से एक हजार गाँवों का शासन करने के लिए नियुक्त होता था।				 | 
			
			
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					सहस्रानन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] विष्णु।				 | 
			
			
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					सहस्राब्दि					 :
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					स्त्री० [सं०] किसी संवत या सन के हर एक से हर हजार तक के वर्षों अर्थात दस शताब्दियों का समूह। (माइलीनियम)				 | 
			
			
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					सहस्रायु					 :
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					वि० [सं० ब० स०] हजार वर्ष जीने वाला।				 | 
			
			
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					सहस्रार					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. हजार दलों नावा एक प्रकार का कल्पित कमल। २. जैन पुराणों के अनुसार बारहवें स्वर्ग का नाम। ३. ङठयोग के अनुसार शरीर के अंदर के आठ कमलों या चक्रों में से एक जो हजार दलों का माना गया है। इसका स्थान मस्तक का भपरी भाग माना जाता है। इसे शून्य चक्र भी कहते है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार यह विचार शक्ति और शरीर का विकास करने वाली ग्रंथियों का केंद्र है।				 | 
			
			
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					सहस्रावर्ता					 :
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					स्त्री० [सं० सहस्रावर्त्ता—टाप्] १. देवी की एक मूर्ति।				 | 
			
			
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					सहस्रांशु					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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					सहस्राशुज					 :
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					पुं० [सं० सहस्त्रशु√जन् (उत्पन्न करना)+ड] शनिग्रह।				 | 
			
			
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					सहस्रास्य					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] १. विष्णु। २. अनंत नामक नाग।				 | 
			
			
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