साहब/saahab

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साहब  : पुं० [अ० साहिब] [स्त्री० साहिबा] १. मालिक। स्वामी। २. परमात्मा। ३. मित्र। साथी। शिष्ट समाज में, भले आदमियों के नाम या पेशे के साथ प्रयुक्त होनेवाला आदरार्थक शब्द। जैसा—बाबू कालिका-प्रसाद साहब, डा० साहब, वकील साहब। ५. अंग्रेजी शासन-काल में, इंग्लैण्ड या युरोप का कोई निवासी।
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साहब-सलामत  : स्त्री० [अ०] परस्पर मिलने के समय होनेवाला अभिवादन। बंदगी। सलाम। जैसा—अब तो दोनों में साहब-संलामत भी बंद हो गई है।
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साहबजादा  : पुं० [अ० साहिब+फा० ज़ादा] [स्त्री० साहबजादी] भले आदमी या रईस का लड़का।
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साहबाना  : वि० [अ०] १. साहबों अर्थात् पाश्चात्य देशों के गोरे अथवा अफसरों की तरह का या उनके रंग-ढंग जैसा। २. साहबों अर्थात भले आदमियों की तरह का।
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साहबी  : वि० [अ० साहिब=ई (प्रत्य०)] साहब का। साहब संबंधी। जैसा—साहबी ठाट-बाट, साहबी रंग-ढंग। स्त्री० १. साहब अर्थात् स्वामी होने की अवस्था या भाव। अधिकारपूर्ण प्रभुत्व या स्वामित्व। २. साहब अर्थात पाश्चात्य देश के गोरे निवासी होने की अवस्था, ढंग या भाव। ३. बड़प्पन। महत्त्व।
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साहबीयत  : स्त्री० [?] ‘साहबी’ या साहब होने की अवस्था, गुण, धर्म या भाव।
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