शब्द का अर्थ
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					सीमंत					 :
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					पुं० [सं०] १. सीमा रेखा। २. स्त्रियों की सिर के माँग। ३. शरीर में हड्डियों का जोड़। ४. दे० ‘सीमंतोन्नयन’।				 | 
			
			
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					सीमंतक					 :
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					पुं० [सं० सीमंत√कृ (करना)+क] १. माँग निकालने की क्रिया। २. सिंदूर जो स्त्रियों की माँग में डालते हैं। ३. जैन-पुराणों के अनुसार एक नरक। ४. उक्त नरक का वासी। ५. एक प्रकार का मणिक रत्न।				 | 
			
			
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					सीमंतवान (वन्)					 :
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					वि० [सं० सीमंत+मतुप-य=व-नुभ-दीर्घ] [स्त्री० सीमंतवती] जिसके सिर के बालों में माँग निकली हो।				 | 
			
			
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					सीमंतित					 :
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					भू० कृ० [सं० सीमंत+इतच्] सीमंत के रूप में लाया हुआ। माँग निकाला हुआ। जैसे—सीमंतित केश।				 | 
			
			
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					सीमंतिनी					 :
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					स्त्री० [सं० सीमंत+इनि-ङीपं] १. स्त्री। २. नारी। विशेष-स्त्रियाँ माँग निकालती है, इससे उन्हे सीमंतिनी कहते हैं। २. संगीत में कर्नाटकी पद्धति की एक रागिनी।				 | 
			
			
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					सीमंतोन्नयन					 :
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					पुं० [सं० ब० स०] द्विजों के दस संस्कारों में से तीसरा संस्कार जो गर्भाधान के चौथे, छठे, आठवें महीने होता है, तथा जिसमें गर्भवती स्त्री के सिर के बालों में माँग निकाली जाती है।				 | 
			
			
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