शब्द का अर्थ
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					सेव्य					 :
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					वि० [सं०] [स्त्री० सेव्या] १. जिसकी सेवा करना आवश्यक, उचित या उपयुक्त हो। २. जिसकी आराधना, उपासना या पूजा करना आवश्यक, उचित या उपयुक्त हो। ३. जिसका सेवन अर्थात उपभोग या व्यवहार करना आवश्यक, उचित या उपयुक्त हो। ४. जिसकी रक्ष करना आवश्यक या उचित हो। ५. जिसका उपभोग या भोग करना आवश्यक या उचित हो। पुं० १. स्वामी। मालिक। २. उशीर। खस। ३. अश्वत्थ। पीपल। ४. हिज्जल नामक वृक्ष। ५. लमज्जक नामक घास, या तृण। ६. गौरैया पक्षी। चिड़ा। ७. सुगंधवाला। ८. लाल चंदन। ९. समुद्री नमक। १॰. जल। पानी। ११. दही। १२. पुरानी चाल की एक प्रकार की शराब।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					सेव्य-सेवक भाव					 :
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					पुं० [सं०] उस प्रकार का भाव, जिस प्रकार का वस्तुतः सेव्य या सेवक के बीच रहता हो या रहना चाहिए। स्वामी और सेवक तथा उपास्य और उपासक के बीच का पारस्परिक भाव।				 | 
			
			
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					सेव्या					 :
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					स्त्री० [सं०] १. बंदा या बाँदा नामक जो दूसरे पेड़ो पर रहकर पनपती हैं। २. आँवला। ३. एक प्रकार की जंगली धान।				 | 
			
			
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