शब्द का अर्थ
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					सैर					 :
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					स्त्री० [फा०] १. मन बहलाने के लिए साफ जगह में घूमना—फिरना। मनोरंजन या वायु-सेवन के लिए भ्रमण। परिमार्गन। (एक्सकर्सन) २. मित्र मंडली का शहर या बस्ती के बाहर केवल मौज लेने के लिए होने वाला खान—पान आदि। गोष्ठी। ३. बहार। मौज। आनंद। ४. कौतुकपूर्ण और मनोरंजक दृश्य। ५. असाढ़—सावन में गाये जाने वाले अक प्रकार के लोक-गीत। (बुंदेल०) ६. रासलीला की तरह का एक प्राकर का अभिनय। (बुंदेल०)				 | 
			
			
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					सैर-गाह					 :
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					पुं० [फा०] सैर करने की अच्छी और खुली जगह।				 | 
			
			
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					सैर-सपाटा					 :
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					पुं० [फा० सैर+हिं० सपाटा] सैर करने के लिए इधर—उधर घूमना—फिरना।				 | 
			
			
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					सैरंद्रिका					 :
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					स्त्री० [सं०] परिचारिका। दासी।				 | 
			
			
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					सैरंध्र					 :
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					पुं० [सं०] [स्त्री० सैरंध्री] १. घर ग्रहस्ती में काम करनेवाला नौकर। २. एक संकर जाति जो स्मृतियों में दस्यु (पुरुष) और अयोगवी (स्त्री) से उत्पन्न कही गई है।				 | 
			
			
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					सैरंध्री					 :
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					स्त्री० [सं०] १. सैरध्र जाति की स्त्री। २. अंतःपुर की दासी।				 | 
			
			
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					सैरा					 :
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					पुं० [फा० सैर] १. हाथ से अंकित चित्रो में भूमिका के रूप में वह प्राकृतिक दृष्य, जिसके आगे व्यक्तियों या घटनाओं आदि चित्र अंकित होता है। २. आसाढ़ में गाया जाने वाला एक प्रकार का लोक गीत। (बुंदेल०)				 | 
			
			
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					सैरि					 :
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					पुं० [सं०] १. कार्तिक महीना। २. पुराणानुसार एक प्राचीन जनपद।				 | 
			
			
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					सैरिक					 :
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					पुं० [सं०] १. हलवाहा। हलधर। किसान। कृषक। २. हल में जोता जानेवाला बैल। ३. आकाश। वि० सीर अर्थात हल से संबंध रखनेवाला।				 | 
			
			
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					सैरिंध्र					 :
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					पुं० [सं०] १. पुराणानुसार एक प्राचीन जनपद। २. दे० ‘सैरंध्र’।				 | 
			
			
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					सैरिंध्री					 :
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					स्त्री० =सैरंध्री।				 | 
			
			
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					सैरिभ					 :
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					पुं० [सं०] १. आकाश। २. इंद्र की पुरी या लोक। ३. भैंसा नामक पशु।				 | 
			
			
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					सैरिभी					 :
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					स्त्री० [सं०] भैंस। महिषी।				 | 
			
			
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					सैरीय					 :
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					पुं० [सं०] कटसरैया। झिंटी।				 | 
			
			
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