शब्द का अर्थ
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					सोम-रस					 :
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					पुं० [सं०] १. वैदिक काल में सोम नामक लता का रस जो ऋशी मुनि आदि पीते थे। २. हठयोग मे, तालु—मूल स्थित में माने जाने वाले चंद्रमा से निकलने वाला रस जो योगी लोग जीभ उलटकर और उसे तालु—मूल तक ले जाकर पान करते है।				 | 
			 
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			 
			
				 
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