शब्द का अर्थ
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					सोलह					 :
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					वि० [सं० षोडस, प्रा० सोलस, सोरह] जो गिनता में दस से छः अधिक हो। षोडस। पुं० उक्त संख्या का सूचक अंक जो इस प्रकार लिखा जाता है।–१६। मुहा०–सोलहो आने=कुल का कुल। सब का सब। सोलह—सोलह गड़े सुनाना=खूब गालियाँ देना।				 | 
			
			
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					सोलह-नहाँ					 :
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					पुं० [हिं० सोलह+नहँ=नख] एक प्रकार का ऐबी हाथी जिसके १६ नाखून होते हैं।				 | 
			
			
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					सोलह-सिंगार					 :
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					पुं० [हिं० सोलह+सिंगार] स्त्रियों के पूरा श्रंगार करने के लिए बताए हुए सोलह कार्य-अंग मे उबटन लगाना, नहाना; स्वच्छ वस्त्र धारण करना; बाल सँवारना; काजल लगाना; सिंदूर से माँग भरना; महावर लगाना; भाल पर तिलक लगाना; चिबुक पर तिल बनाना; मेंहदी लगाना; इत्र आदि सुगंधित द्रव्य लगाना; आभूषण पहनना; फूलों की माला पहनना; मिस्सी लगाना; पान खाना और होठों को लाल करना। मुहाः सोलह सिंगार सजाना=बनना-ठनना।				 | 
			
			
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					सोलहवाँ					 :
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					वि० [हिं० सोलह+वाँ (प्रत्य०)] [स्त्री० सोलहवीं] संख्या के विचार से १६ की जगह पड़ने वाला।				 | 
			
			
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					सोलही					 :
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					स्त्री० [हिं० सोलह+ई (प्रत्य०)] १. सोलह चित्ती कौड़ियाँ। २. उक्त कौड़ियों से खेला जाने वाला जूआ। ३. पैदावार की १६—१६ अँटियों या पूलों के रूप में होने वाली गिनती।				 | 
			
			
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