शब्द का अर्थ
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					स्नेह					 :
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					पुं० [सं०] १. चिकना पदार्थ। चिकनाहटवाली चीज। जैसे–घी, तेल, चरबी आदि। २. प्रेमियों, हमजोलियों बच्चों आदि के प्रति होनेवाला प्रेम–भाव। ३. कोमलता। मुलायमत। ४. सिर के अन्दर का गूदा। मज्जा। ५. एक प्रकार का राग जो हनुमत के मत से हिंडोल राग का पुत्र है। ६. सरसों। ७. दही या दूध पर की मलाई।				 | 
			
			
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					स्नेह-पात्र					 :
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					वि० [सं०] [वि० स्नेहपात्री] जो स्नेह का पात्र या भाजन हो। जिसके प्रति स्नेह हो।				 | 
			
			
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					स्नेह-पान					 :
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					पुं० [सं०] १. तेल पीना। २. वैद्यक के अनुसार एक प्रकार की क्रिया जिसमें कुछ विशिष्ट रोगों में तेल, घी, चरबी आदि पीने का विधान है।				 | 
			
			
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					स्नेह-फल					 :
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					पुं० [सं०] तिल।				 | 
			
			
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					स्नेह-बीज					 :
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					पुं० [सं०] चिरौंजी।				 | 
			
			
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					स्नेह-मापक					 :
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					पुं० [सं०] एक प्रकार का यंत्र जिससे यह पता चलता है कि दूध में स्नेह या चिकनाई (मक्खन, घी आदि का अंश) कितना होता है। (बुटाइरोमीटर)				 | 
			
			
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					स्नेह-मीन					 :
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					पुं० [सं०] एक प्रकार की बड़ी मछली जिसका मांस खाया जाता है और चरबी का उपयोग कई प्रकार के रोगों में पौष्टिक ओषधि के रूप में होता है। (कॉड)				 | 
			
			
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					स्नेह-वस्ति					 :
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					स्त्री० [सं०] १. वह वस्ति या पिचकारी जिसमें तेल भर कर गुदा के द्वारा रोगी के शरीर में प्रविष्ट किया जाता है। (वैद्यक) २. उक्त क्रिया का भाव।				 | 
			
			
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					स्नेह-वृक्ष					 :
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					पुं० [सं०] देवदारु।				 | 
			
			
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					स्नेह-सार					 :
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					पुं० [सं०] मज्जा नामक धातु। अस्थिसार।				 | 
			
			
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					स्नेहक					 :
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					पुं० [सं०] १. वह तेल या चिकना पदार्थ जो यंत्रों के पहियों आदि में सरलता से चलाने के लिए डाला जाता है (लूब्रिकेन्ट)। २. प्रेमी। स्नेही। वि० १. स्निग्ध या चिकना करनेवाला। २. स्नेही।				 | 
			
			
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					स्नेहन					 :
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					पुं० [सं०] १. किसी चीज में स्नेह या तेल लगाने अथवा उसे चिकना करने की क्रिया या भाव। चिकनाना। २. यंत्रों आदि के अंगों और पहियों में उन्हें सरलता से चलाने के लिए तेल डालना। (ल्युब्रिकेशन) ३. किसी चीज से चिकनाहट उत्पन्न करना या लाना। ४. शरीर में तेल लगाना। ५. नवनीत। मक्खन। ६. कफ। श्लेष्म।				 | 
			
			
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					स्नेहनीय					 :
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					वि० [सं०] १. जिस पर तेल लगाया जा सके। २. जिसके साथ स्नेह किया जा सके।				 | 
			
			
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					स्नेहल					 :
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					वि० [सं०] १. स्नेह-पूर्ण। २. कोमल। ३. चिकना।				 | 
			
			
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					स्नेहांश					 :
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					पुं० [सं०] दीपक। चिराग।				 | 
			
			
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					स्नेहिक					 :
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					वि० [सं०] १. स्नेह युक्त। चिकना। २. रोगनदार।				 | 
			
			
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					स्नेहित					 :
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					भू० कृ० [सं०] १. स्नेह से युक्त किया हुआ। २. जिसे किसी का स्नेह प्राप्त हो। ३. जिस पर चिकनाई लगाई गई हो।				 | 
			
			
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					स्नेही (हिन्)					 :
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					वि० [सं०] १. जो स्नेह करता हो। २. जिससे स्नेह किया जाता हो। पुं० १. मित्र। २. लेप आदि करनेवाला चिकित्सक। ३. चित्रकार।				 | 
			
			
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					स्नेहोत्तम					 :
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					पुं० [सं०] तिल का तेल।				 | 
			
			
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					स्नेह्य					 :
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					वि० [सं०] जिसके साथ स्नेह किया जा सके। स्नेह या प्रेम का अधिकारी या पात्र।				 | 
			
			
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