शब्द का अर्थ
|
स्वराट् :
|
वि० [सं०] जो स्वयं प्रकाशमान हो और दूसरों को प्रकाशित करता हो। पुं० १. ईश्वर। २. ब्रह्मा। ३. वहा राजा जो किसी ऐसे राज्य का स्वामी हो, जिसमें स्वराज्य-शासन प्रणाली प्रचलित हो। ४. ऐसा वैदिक छंद जिसके सब पादों में से मिलकर नियमित वर्णों में दो वर्ण कम हों। |
|
समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
|