| शब्द का अर्थ | 
					
				| अपराध					 : | पुं० [सं० अप√राध्+घञ्] १. ऐसा अनुचित कार्य जिसने किसी का अपमान या हानि हो। (आफेन्स) २. कोई ऐसा अनुचित फलतः दंडनीय काम जो किसी विधि या विधान के विरुद्ध हो। ३. कोई अनुचित या बुरा काम। ४. दोष। ५. पाप। ६. भूल-चूक। | 
			
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				| अपराध-विज्ञान					 : | पुं० [ष० त०] वह विज्ञान जिसमें इस बात का विवेचन होता है कि लोग अपराध क्यों करते हैं और उनकी यह प्रवृत्ति कैसे ठीक हो सकती है। (क्रिमिनालजी) | 
			
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				| अपराध-स्वीकरण					 : | पुं० [ष० त०] न्यायाधीश अथवा किसी उच्च अधिकारी के सामने अपना किया हुआ अपराध स्वीकार करना। (कन्फेशन) | 
			
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				| अपराधशील					 : | वि० [ब० स०] (व्यक्ति) जो प्रायः और स्वभावतः अपराध करता रहता हो। (क्रिमिनल) | 
			
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				| अपराधि-साक्षी (क्षिन्)					 : | पुं० [सं० कर्म० स०] दे० ‘भेद-साक्षी’। | 
			
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				| अपराधिक					 : | वि० दे० ‘अपराधिक’। | 
			
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				| अपराधी (धिन्)					 : | वि० , पुं० [सं० अप√राध्+णिनि] १. वह जिसने अपराध किया हो। २. कानून की दृष्टि में ऐसा व्यक्ति जिसने अपराध किया हो। | 
			
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