अपान/apaan

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अपान  : पुं० [सं० अप-आ√नी (ले जाना)+ड] १. पाँच प्राणों में से एक जिसकी गति नीचे की ओर होती है। २. गुदा के ऊपरी भाग में स्थित वह वायु जो मल-मूत्र बाहर निकालती है। ३. गुदा-मार्ग से बाहर निकलने वाली वायु। पाद। गुदा। वि० दुःख दूर करनेवाला। पुं० ईश्वर। पुं० [हिं० अपना] १. अपनापन। आत्मभाव। २. आत्म-ज्ञान। सुधि। उदाहरण—जनक समान अपान बिसारे।—तुलसी। ३. आत्म-गौरव। सर्व०=अपना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अपान-द्वार  : पुं० [ष० त०] गुदा।
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अपान-वायु  : पुं० [ष० त०] गुदा में से निकलने वाली वायु जो शरीर की पाँच वायुओं मे से एक कही गई है। पाद।
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अपानन  : पुं० [सं० अप्√अन् (साँस लेना)+ल्युट्-अन] १. प्राण-वायु को अंदर ले जाना। साँस खीचना। २. मल-मूत्र आदि का त्याग। वि० [सं० अप+आनन, ब० स०] जिसका आनन या मुँह न हो। मुख-रहित।
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अपाना  : सर्व०=अपना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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अपानृत  : वि० [सं० अप-अनृत, ब० स०] अनृत या मिथ्या से भिन्न, अर्थात् सत्य।
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