| शब्द का अर्थ | 
					
				| अबर					 : | वि० [अ० अबल] [भाव० अबराई] १. निर्बल। शक्ति-हीन। २. दुर्बल। कमजोर। वि० -अपर (दूसरा)। क्रि० वि० इस बार। पुं० [फा० अब्र] बादल। मेघ।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| अबरक					 : | पुं० [सं० अभ्रक] पत्तरों या वरकों के रूप में पाई जानेवाली एक प्रसिद्ध चमकीली, भुरभुरी सफेद धातु। भोडल। (माइका) | 
			
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				| अबरख					 : | पुं०=अबरक। | 
			
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				| अबरखी					 : | वि० [हिं० अबरक] १. अबरख के रंग का। २. अबरख का बना हुआ। स्त्री० अबरक का वह चूर्ण जो चित्रकार चित्रों पर चांदी का रंग दिखाने के लिए छिड़कते हैं। | 
			
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				| अबरन					 : | वि० [सं० अ+वर्ण] १. जिसका कोई वर्ण या रूप न हो। वर्ण-रहित। २. जो आस-पास के रंगों से भिन्न रंग या प्रकार का हो। पुं० १. दे० आभरण। २. दे० ‘आवरण’। वि० [सं० अवर्ण्य] जिसका वर्णन न हो सके। | 
			
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				| अबरबान					 : | वि० [सं० अपर+हिं० बानि] १. आवारा। २. मूर्ख। | 
			
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				| अबरस					 : | पुं० [फा०] १. घोड़े का एक रंग जो सब्ज से कुछ खुलता हुआ और अधिक सफेद रंग का होता है। २. इस रंग का घोड़ा। | 
			
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				| अबरा					 : | वि०=अबर। वि० [हिं० अ+बराना-बचाना] १. जो बचाया न जा सके। २. जिसे बचा या छोड़ न सके।—अडुर। पुं० [फा०] १. ओढ़ने या उदाहरण—हारे अबरे का एतबार। पहनने के दोहरे कपड़ों में, ऊपर का कपड़ा या पल्ला। उपल्ला। २. विकट समस्या। उलझन। | 
			
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				| अबरी					 : | वि० [फा० अब्र=बादल मि० सं० अभ्र] १. जिसमें बादल की तरह कई रंगों की धारियाँ हों। स्त्री० १. एक प्रकार का कागज जिस पर उक्त प्रकार की धारियाँ होती हैं। २. कपड़ों की एक प्रकार की रँगाई जिसमें उक्त ढंग की धारियाँ होती है। ३. पीले रंग का एक पत्थर जो पच्चीकारी के काम आता है। स्त्री० [सं० अ+वारि] जलाशय का किनारा। क्रि० वि० [हिं० अब] इस बार। अब की दफा। उदाहरण—अबरी क कहलिया मोर एतना कर लीहिन।—लोकगीत। | 
			
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				| अबरू					 : | स्त्री० [फा० अब्रू मि० सं० भ्रू] भौंह। | 
			
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				| अबर्त					 : | पुं०=आवर्त।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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				| अबर्न्य					 : | वि० [सं० अ+वर्ण्य] जिसका वर्णन न हो सके। अवर्णनीय।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) | 
			
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