अभिज्ञा/abhigyaa

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अभिज्ञा  : स्त्री० [सं० अभि√ज्ञा+अङ्-टाप्] १. ज्ञान प्राप्त करना। परिचित होना। जानना। २. पहले देखी हुई चीज़ फिर से देखकर पहचानना। ३. पुरानी बात फिर से याद या स्मरण करना। ४. बौद्धों के अनुसार गौतम बुद्ध की वह अलौकिक शक्ति जिससे वे मनमाना रूप या शरीर धारण कर सकते थे तथा भूत, भविष्य और वर्तमान की सब बातें जान लेते थे और पास तथा दूर के सब लोगों के मन की बातें समझ लेते थे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
अभिज्ञात  : भू० कृ० [सं० अभि√ज्ञा+क्त] १. जिसका अभिज्ञान हुआ हो। २. जाना-पहचाना या समझा-बूझा हुआ। शाल्मली द्वीप के सात खंडों में से एक।
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अभिज्ञातार्थ  : पुं० [सं० अभिज्ञात+अर्थ,ब० स०] वादी के अप्रसिद्ध या श्लिष्ट अर्थोंवाले शब्दों के प्रयोग करने पर प्रतिवादी का कुछ न समझना और फल-स्वरूप विवाद रूक जाना। जो न्याय-शास्त्र में एक निग्रह स्थान माना गया है।
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अभिज्ञान  : पुं० [सं० अभि√ज्ञा+ल्युट्-अन] [भू० कृ० अभिज्ञान] १. स्मृति। याद। २. निशानी। पहचान। ३. वह वस्तु या बात जिससे कोई पुरानी बात फिर से याद आ जाए। अनुस्मरण। ४. पहचान कर बतलाना कि यह वही व्यक्ति है। (आइडेन्टिफिकेशन) ५. लक्षण।
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अभिज्ञापक  : वि० [सं० अभि√ज्ञा+णिच्+ण्युल्-अक, पुक्] १. अभिज्ञान या पहचान करनेवाला। २. अभिज्ञापन करनेवाला। (एनाउन्सर)
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अभिज्ञापन  : पुं० [सं० अभि√ज्ञा+णिच्+ल्युट्-अन, पुक्] सार्वजनिक रूप से प्रथम बार लोगों को ऐसी बात की जानकारी कराना जिससे उनके हानि-लाभ का संबंध हो, अथवा जिसकी वे उत्सुकतापूर्वक प्रतीक्षा कर रहे हों। जैसे—किसी आविष्कार का अभिज्ञापन, प्रतियोगिता में विजयी का अभिज्ञापन अथवा निर्वाचित पदाधिकारी का अभिज्ञापन। (एनाउन्समेंट)
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