शब्द का अर्थ
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					आलाप					 :
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					पुं० [सं० आ√लप्(बोलना)+घञ्] १. कहना। बोलना। २. आपस में होनेवाली बात-चीत। जैसे—वार्तालाप। ३. चिड़ियों की चहचहाट। ४. संगीत में राग-रागिनों के गाने का वह विशिष्ठ आरंभिक अंश या प्रकार जिसमें तानयुक्त स्वरों में केवल धुन का प्रदर्शन होता है, गीत के बोलों का उच्चारण नहीं होता है।				 | 
			
			
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					आलापक					 :
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					वि० [सं० आ√लप्+ण्वुल्-अक] आलाप या बातचीत करनेवाला। २. संगीत में स्वरों का आलाप करनेवाला।				 | 
			
			
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					आलापचारी					 :
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					स्त्री० [सं० आलाप-चार] संगीत में, स्वरों का आलाप करने की क्रिया।				 | 
			
			
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					आलापना					 :
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					स० =अलापना				 | 
			
			
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					आलापित					 :
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					भू० कृ० [सं० आ√लप्+णइच्+क्त] १. कहा हुआ। कथित। २. संगीत में, आलाप के रूप में उच्चरित किया हुआ। ३. गाया हुआ।				 | 
			
			
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					आलापिनी					 :
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					स्त्री० [सं० आलाप+इनि-ङीष्] बाँसुरी। बंसी।				 | 
			
			
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					आलापी (पिन्)					 :
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					वि० [सं० आलाप+इनि वा आ√लप्+णिनि] [स्त्री०आलापिनी] =आलापक।				 | 
			
			
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