शब्द का अर्थ
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उखड़ना :
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स० [सं० उत्खनन, प्रा० उक्खणन] १. ऐसी चीजों का अपने मूल आधार या स्थान से हटकर अलग होना जिनकी जड़ या नीचे वाला भाग जमीन के अंदर कुछ दूर तक गड़ा, जमा या फैला हो। जैसे—(क) आँधी से पेड़-पौधों का उखड़ना। (ख) जमीन में गड़ा हुआ खंबा उखड़ना। २. ऐसी चीजों का अपने आधार या स्थान से हटकर अलग होना जिनका नीचेवाला तल या पार्श्व कहीं अच्छी तरह जमा या बैठा हो। जमा, टिका,ठहरा या लगा न रहना। जैसे—(क) अँगूठी या हार में का नगीना उखड़ना। (ख) दीवार पर का पलस्तर या रंग उखड़ना। ३. दृढ़ता से खड़ी, जमी या लगी हुई चीज का अपने नियत स्थान से कट, टूट या हटकर अलग या इधर-उधर होना। जैसे—(क) कंधे या कोहनी की हड्डी उखड़ना। (ख) कुरसी या चौकी का पाया उखड़ना। (ग) युद्ध-क्षेत्र से सेना के पैर उखड़ना। ४. (आवश्यकता बाधा आदि के कारण) मिलने-जुलने, रहने-बैठने आदि के स्थान से हटकर लोगों का इधर-उधर या तितर-बितर होना। जैसे—(क) साधु-मंडली का डेरा-डंडा उखड़ना। (ख) आँधी-पानी या उपद्रव के कारण खेल, जलसा या मेला उखड़ना। (ग) पुलिस के भय से जुआरियों या शराबियों का अड्डा उखड़ना। ५. भिन्न-भिन्न अंगो, पक्षों, भागों आदि को जोड़ या मिलाकर रखनेवाले तत्त्वों का टूट-फूट कर अलग होना। जैसे—(क) गिलास या थाली का टाँका उखड़ना।(ख) कुरते या जूते की सीयन उखड़ना। (ग) परेते पर से गुड्डी या पतंग उखड़ना। ६. किसी प्रकार के सुदृढ़ आधार या स्वस्थ स्थिति से अस्त-व्यस्त, चंचल या विचलित होना। पहलेवाली अच्छी दशा या स्थिति में बाधा या व्यतिक्रम होना। जैसे—(क) किसी जगह से मन उखड़ना। (ख) बाजार (या समाज) से बनी हुई बात (या साख) उखड़ना। (ग) दूकान पर से ग्राहक उखड़ना। ७. बँधा हुआ क्रम, तार या सिलसिला इस प्रकार भंग होना कि कटुता या विरसता उत्पन्न हो। जैसे—(क) गाने में गवैये का दम या साँस उखड़ना। (ख) चलने या दौड़ने में घोड़े की चाल उखड़ना। ८. आपस की बात-चीत, लेन-देन या व्यवहार में अप्रिय और अवांछित रूप से उग्रता या कठोरता का सूचक परिवर्तन या विकार होना। सम स्थिति से हटकर विषम-स्थिति में आना या होना। जैसे—(क) अब तो आप जरा-जरा सी बात पर उखड़ने लगे हैं। (ख) उनसे मेल-जोल बनाये रखो, कहीं से उखडने मत दो। मुहावरा—उखड़ी उखड़ी बातें करना=सौजन्य या सौहार्द छोड़कर उदासीन या खिन्न भाव से बातें करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
उखड़ना :
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स० [सं० उत्खनन, प्रा० उक्खणन] १. ऐसी चीजों का अपने मूल आधार या स्थान से हटकर अलग होना जिनकी जड़ या नीचे वाला भाग जमीन के अंदर कुछ दूर तक गड़ा, जमा या फैला हो। जैसे—(क) आँधी से पेड़-पौधों का उखड़ना। (ख) जमीन में गड़ा हुआ खंबा उखड़ना। २. ऐसी चीजों का अपने आधार या स्थान से हटकर अलग होना जिनका नीचेवाला तल या पार्श्व कहीं अच्छी तरह जमा या बैठा हो। जमा, टिका,ठहरा या लगा न रहना। जैसे—(क) अँगूठी या हार में का नगीना उखड़ना। (ख) दीवार पर का पलस्तर या रंग उखड़ना। ३. दृढ़ता से खड़ी, जमी या लगी हुई चीज का अपने नियत स्थान से कट, टूट या हटकर अलग या इधर-उधर होना। जैसे—(क) कंधे या कोहनी की हड्डी उखड़ना। (ख) कुरसी या चौकी का पाया उखड़ना। (ग) युद्ध-क्षेत्र से सेना के पैर उखड़ना। ४. (आवश्यकता बाधा आदि के कारण) मिलने-जुलने, रहने-बैठने आदि के स्थान से हटकर लोगों का इधर-उधर या तितर-बितर होना। जैसे—(क) साधु-मंडली का डेरा-डंडा उखड़ना। (ख) आँधी-पानी या उपद्रव के कारण खेल, जलसा या मेला उखड़ना। (ग) पुलिस के भय से जुआरियों या शराबियों का अड्डा उखड़ना। ५. भिन्न-भिन्न अंगो, पक्षों, भागों आदि को जोड़ या मिलाकर रखनेवाले तत्त्वों का टूट-फूट कर अलग होना। जैसे—(क) गिलास या थाली का टाँका उखड़ना।(ख) कुरते या जूते की सीयन उखड़ना। (ग) परेते पर से गुड्डी या पतंग उखड़ना। ६. किसी प्रकार के सुदृढ़ आधार या स्वस्थ स्थिति से अस्त-व्यस्त, चंचल या विचलित होना। पहलेवाली अच्छी दशा या स्थिति में बाधा या व्यतिक्रम होना। जैसे—(क) किसी जगह से मन उखड़ना। (ख) बाजार (या समाज) से बनी हुई बात (या साख) उखड़ना। (ग) दूकान पर से ग्राहक उखड़ना। ७. बँधा हुआ क्रम, तार या सिलसिला इस प्रकार भंग होना कि कटुता या विरसता उत्पन्न हो। जैसे—(क) गाने में गवैये का दम या साँस उखड़ना। (ख) चलने या दौड़ने में घोड़े की चाल उखड़ना। ८. आपस की बात-चीत, लेन-देन या व्यवहार में अप्रिय और अवांछित रूप से उग्रता या कठोरता का सूचक परिवर्तन या विकार होना। सम स्थिति से हटकर विषम-स्थिति में आना या होना। जैसे—(क) अब तो आप जरा-जरा सी बात पर उखड़ने लगे हैं। (ख) उनसे मेल-जोल बनाये रखो, कहीं से उखडने मत दो। मुहावरा—उखड़ी उखड़ी बातें करना=सौजन्य या सौहार्द छोड़कर उदासीन या खिन्न भाव से बातें करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
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