उछाह/uchhaah

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उछाह  : पुं० [सं० उत्साह, प्रा० उस्साह, सिं० उसा, मरा० उच्छाव] १. मन में होनेवाला उत्साह। उमंग। जोश। उदाहरण—इति असंक मन सदा उछाहू।—तुलसी। २. किसी काम के लिए होनेवाली गहरी लालसा या प्रबल उत्कंठा। पुं० [सं० उत्सव] १. आनंद या उत्सव के समय होनेवाली धूम-धाम। उदाहरण—संग संग सब भए उछाहा।-तुलसी। २. जैनों में रथयात्रा का उत्सव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उछाह  : पुं० [सं० उत्साह, प्रा० उस्साह, सिं० उसा, मरा० उच्छाव] १. मन में होनेवाला उत्साह। उमंग। जोश। उदाहरण—इति असंक मन सदा उछाहू।—तुलसी। २. किसी काम के लिए होनेवाली गहरी लालसा या प्रबल उत्कंठा। पुं० [सं० उत्सव] १. आनंद या उत्सव के समय होनेवाली धूम-धाम। उदाहरण—संग संग सब भए उछाहा।-तुलसी। २. जैनों में रथयात्रा का उत्सव।
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उछाही  : वि० [हिं० उछाह] उछाह या आनंद मनानेवाला। वि०=उत्साही।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
उछाही  : वि० [हिं० उछाह] उछाह या आनंद मनानेवाला। वि०=उत्साही।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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