ऋजु/

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ऋजु  : वि० [सं०√ऋज् (गति)+कु] [स्त्री० ऋज्वी] १. जो आकार के विचार से बिलकुल सीधा हो, कहीं से टेढ़ा या मुड़ा हुआ न हो। २. लाक्षणिक अर्थ में, (व्यक्ति) जिसमें छल-कपट न हो। ईमानदार और सच्चा। सरल। हृदय। (अँनिस्ट) ३. अनुकूल। ४. लाभकारी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
ऋजु-काय  : वि० [ब० स०] जिसका शरीर ‘सीधा’ हो। पुं० कश्यप ऋषि।
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ऋजु-रोहित  : पुं० [कर्म० स०] इंद्र का धनुष जो सीधा और लाल रंग का कहा गया है।
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ऋजु-सूत्र  : पुं० [सं० कर्म० स०] जैन दर्शन में भविष्य और भूत को छोड़कर केवल वर्तमान को मानना तथा ‘नय’ और प्रमाणों द्वारा सिद्ध अर्थ और बातें ही ग्रहण करना।
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ऋजुकरण  : पुं० [सं० ] १. ऋजु या सीधा करने की क्रिया या भाव। २. शुद्ध या साफ करना। (रेक्टिफिकेशन, उक्त दोनों अर्थों में)
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ऋजुग  : वि० [सं०√ऋजुगम् (जाना)+ड] १. सीधा चलने या जानेवाला। २. सच्चा और सरल व्यवहार करने वाला। पुं० तीर। बाण।
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ऋजुता  : स्त्री० [सं० ऋज्+तल्-टाप्] १. ऋजु होने की अवस्था या भाव। सरलता। सीधापन। २. छल-कपट आदि से दूर रहने की प्रवृत्ति। ईमानदारी, सच्चाई और सज्जनता। (आँनेस्टी)
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