ऋतु-विपर्यय/

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ऋतु-विपर्यय  : पुं० [ष० त०] एक ऋतु में उसके अनुकूल बातें न होकर अन्य ऋतु की बातें या लक्षण दिखाई देना। जैसे—गरमी के दिनों में सरदी या सरदी के दिनों में गरमी पड़ना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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