एकल/ekal

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एकल  : वि० [सं० एकला (आदान)+क] १. जो एक ही से बना हो। २. अकेला। अद्वितीय। अनुपम।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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एकलंगा  : पुं० [हिं० एक+अलंग-पार्श्व डंड] कुश्ती का एक पेंच।
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एकलंगा डंड  : पुं० [हिं० एक+अलंगपार्श्व+डंड] डंड नामक कसरत का वह प्रकार जिसमें एक ही हाथ पर शरीर का सारा भाग देकर झुकते और उठते हैं।
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एकलया  : वि० [हिं० एकल]=अकेला। क्रि० वि० एकदम से। अचानक सहसा। उदाहरण—अरथं ढंकिन सरसा, उघ्घारै न नथ्थि एकलया।—चंदवरदाई।
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एकलव्य  : पुं० [सं० ] एक निषाद जिसने द्रोणाचार्य की मूर्ति को प्रतिष्ठित कर उसे ही गुरु मानकर उसके सामने शस्त्राभ्यास किया था।
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एकला  : वि० [सं० एकल] [स्त्री० एकली] अकेला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)
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एकलिंगी  : वि० [सं० ] १. (जीव या प्राणी) जो नर या मादा में से किसी एक लिंग से युक्त हो। २. (फूल या वनस्पति) जिसमें एक ही लिंग प्रमुख रूप से काम करता हो, और दूसरा लिंग न हो अथवा अक्रिय और दबा हुआ हो। (यूनीसेक्सुअल)
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एकलेखा  : पुं० [?] एक प्रकार का पौधा और उसका फूल।
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एकलौता  : वि०=इकलौता।
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