शब्द का अर्थ
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					कपि					 :
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					पुं० [सं√कम्प् (गति)+ इ, मलोप+इ] १. बंदर। २. हाथी। ३. कंजा। करंज। ४. शिलारस नाम की सुगधित ओषधि। ५. सूर्य।				 | 
			
			
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					कपि-कच्छु					 :
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					स्त्री० [ब० स०] केवाँच। कौंछ।				 | 
			
			
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					कपि-केतन					 :
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					पुं०=कपिकेतु।				 | 
			
			
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					कपि-केतु					 :
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					[ब० स०] अर्जुन जिनकी पताका पर हनुमानजी का चित्र बना था।				 | 
			
			
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					कपि-ध्वज					 :
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					पुं० [ब० स०] अर्जुन।				 | 
			
			
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					कपि-प्रभु					 :
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					पुं० [ष० त०] बंदरों के स्वामी (क) सुग्रीव (ख) राम।				 | 
			
			
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					कपि-रथ					 :
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					पुं० (ब० सं०) १. अर्जुन। २. श्रीरामचन्द्र।				 | 
			
			
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					कपि-लता					 :
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					स्त्री० [मध्य० सं०] =केवाँच। (कौंछ)।				 | 
			
			
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					कपिकंदुक					 :
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					पुं० [सं० कपि√कंद्+उक] कपाल। खोपड़ी।				 | 
			
			
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					कपिखेल					 :
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					स्त्री० [सं० कपिलता] केवाँच। कौंछ।				 | 
			
			
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					कपित्थ					 :
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					पुं० [सं० कपि√स्था (ठहरना) +क, पृषो० सिद्धि] १. कैथ का पेड़ और उसका फल। २. नृत्य में एक प्रकार का हस्तक।				 | 
			
			
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					कपिल					 :
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					वि० [सं०√कन् (कान्ति)+इलच् पादेशः] [स्त्री० कपिला] १. ताँबे के रंग जैसा। भूरे या मटमैले रंग का। तामड़ा। २. जिसके भूरे बाल हों। ३. सफेद। ४. भोला-भाला। पुं० १. अग्नि। २. कुत्ता। ३. चूहा। ४. शिलाजीत। ५. महादेव। ६. सूर्य। ७, विष्णु। ८. इस प्रकार का शीशम। ९. पुराणानुसार एक मुनि जिन्होंने सगर के ६.,००० पुत्रों को भस्म किया था। ११. कुश-द्वीप के एक खंड या वर्ष का नाम।				 | 
			
			
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					कपिल-द्युति					 :
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					पुं० [ब० स०] सूर्य।				 | 
			
			
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					कपिल-वस्तु					 :
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					पुं० [ब० सं०] मगध की एक प्राचीन राजधानी जहाँ गौतम बुद्ध का जन्म हुआ था और जो इस समय के बस्ती जिले में है।				 | 
			
			
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					कपिल-स्मृति					 :
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					स्त्री० [मध्य० सं०] सांख्य-सूत्र।				 | 
			
			
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					कपिलता					 :
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					स्त्री० [सं० कपिल+तल्+टाप्] १. मटमैलापन। २. ललाई। ३. पीलापन। ४. सफेदी।				 | 
			
			
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					कपिला					 :
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					स्त्री० [सं० कपिल+अच्० टाप्] १. वह गाय जिसके शरीर पर भूरे या सफेद रंग के बाल हों। २. एक प्रकार की जोंक। ३. एक प्रकार की च्यूँटी। मांटा। ४. दक्षिण-पूर्व के दिग्गज की पत्नी। ५. दक्ष प्रजापति की एक कन्या। ६. रेणुका नाम की सुगधित ओषधि।				 | 
			
			
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					कपिलागम					 :
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					पुं० [कपिल-आगम, मध्य० सं०] सांख्य-शास्त्र।				 | 
			
			
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					कपिलांजन					 :
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					पुं० [कपिल-अंजन ब० सं०] शिव।				 | 
			
			
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					कपिलाश्व					 :
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					पुं० [कपिल-अश्व, कर्म, सं०] १. भूरे या सफेद रंग का घोड़ा। २. [ब० स०] इंद्र जिनके घोड़े का रंग सफेद माना जाता है।				 | 
			
			
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					कपिल्ल					 :
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					पुं० [सं०√कंप्+इल्ल] एक ओषधि, जिसे कमीला भी कहते हैं।				 | 
			
			
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					कपिश					 :
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					वि० [सं० कपि+श] १. मटमैले या भूरे रंगवाला। कुछ काला और कुछ पीला। २. लाली लिये हुए कुछ भूरे रंग का।				 | 
			
			
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					कपिशा					 :
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					स्त्री० [सं० कपिश+टाप्] १. भूरा रंग। २. एक प्रकार की शराब। ३. एक प्राचीन नदी का नाम। उदा०—कपिशा हुई थी लाल तेरा पानी पान कर।—प्रासाद। ४. कश्यप ऋषि की एक स्त्री। ५. एक प्राचीन प्रदेश जो आज-कल उत्तरी अफगानिस्तान है।				 | 
			
			
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