शब्द का अर्थ
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					कफन					 :
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					पुं० [अ०] सिला हुआ अथवा बिना सिला हुआ वह कपड़ा जिसमें शव को लपेटकर दफनाया या जलाया जाता है। मुहा०—कफन को कौड़ी न होना वा न रहना=अत्यन्त दरिद्र होना। कफन को कौड़ी न रखना=जो कुछ कमाना वह सब खर्च कर देना। कफन फाड़कर उठाना=(क) मुर्दे का जी उठना। (ख) सहसा उठ पड़ना। (व्यंग्य) कफन फाड़ कर चिल्लाना=सहसा तथा बहुत जोर से चिल्लाना या बोलना। कफन सिर से बाँधना या लपेटना=मरने के लिए तैयार होना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
				उपलब्ध नहीं				 | 
				
			
			
					
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					कफन-खसोट					 :
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					वि० [सं० ‘कफन’+खसोट] १. (ऐसा व्यक्ति) जो शव के कपड़े तक उतार ले। २. लाक्षणिक अर्थ में बहुत ही कंजूस। लुटेरा या लोभी।				 | 
			
			
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					कफन-खसोटी					 :
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					स्त्री० [अ० कफन+खसोटना] १. श्मशान पर मुर्दों का कफन फाड़कर लिया जानेवाला कर। २. बहुत ही बुरी तरह से धन इकट्ठा करने की वृत्ति।				 | 
			
			
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					कफन-चोर					 :
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					पुं० [हिं० कफन+चोर] कब्र खोदकर कफन चुरानेवाला व्यक्ति। बहुत तुच्छ और दुष्ट चोर।				 | 
			
			
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					कफनाना					 :
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					सं० [अ० कफन+आना (प्रत्य०)] शव के चारों ओर कफन लपेटना।				 | 
			
			
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					कफनी					 :
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					स्त्री० [हिं० कफन] १. वह कपड़ा जो शव के गले में लपेटा या बाँधा जाता है। २. साधुओं के पहनने का एक कपड़ा जो बिना सिला हुआ होता है।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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