कर्ण-घंट/karn-ghant

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कर्ण-घंट  : पुं० [ब० स०] शिव के एक प्रकार के उपासक जो इसलिए अपने कानों में घंटी या घंटा बाँधें रहते थे कि उसके रव में विष्णु का नाम दब जाय और उनके कानों में न पहुँचने पावे। घंटाकर्ण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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