कल-कल/kal-kal

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कल-कल  : पुं० [सं० कल—द्वित्व=कल-कल] १. नदियों, स्त्रोंतो, आदि के बहने आदि से होनेवाली अव्यक्त, कोमल तथा मधुर ध्वनि। स्त्री० [अनु०] बोलचाल में आपस में प्रायः या बराबर होता रहनेवाला झगड़ा। जैसे—रोज की कल-कल घर को खा जाती है। पुं० [सं०] साल का गोंद। राल। स्त्री० [हिं० कल्लाना] शरीर के किसी अंग में होनेवाली हलकी खुजलीं, चुनचुनाहट या सुरसुरी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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