शब्द का अर्थ
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					काकल					 :
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					पुं० [कु-कल, ब० स० कु=क] [वि० काकली] १. गले के अंदर की घंटी। २. कौआ।				 | 
			
			
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					काकली					 :
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					स्त्री० [सं० कु-कलि, प्रा० स० कु०=क, काकलि+ङीष्] १. ऐसी कल या नाद जो मंद तथा मधुर हो। कोमल तथा प्रिय ध्वनि या स्वर। २. संगीत में ऐसा मन्द तथा मधुर स्वर जो यह जानने के लिए उत्पन्न किया जाता है कि कोई जाग रहा है या सो रहा है। ३. घुँघची। ४. साठी धान। ५. काकली द्राक्षा (देखें)।				 | 
			
			
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					काकली-द्राक्षा					 :
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					स्त्री० [सं० मध्य० स०] १. एक प्रकार का छोटा अंगूर या दाख जिसे सुखा कर किशमिश बनाते हैं। २. किशमिश।				 | 
			
			
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					काकली-निषाद					 :
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					पुं० [सं० मध्य० स०] संगीत में निषाद स्वर का एक विकृत रूप।				 | 
			
			
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					काकली-रव					 :
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					पुं० [ब० स०] [सं० काकली-रवा] कोयल।				 | 
			
			
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					काकलोद					 :
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					स्त्री० [सं० आकुलता] मन में होनेवाली किसी प्रकार की आकुलता या विकलता।				 | 
			
			
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