शब्द का अर्थ
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					कूटा					 :
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					पुं० [हिं० कूटना] १. वह व्यक्ति जो चीजें कूटने का काम करता हो। २. वह उपकरण जिससे चीजें कूटी जाती हों। कुटना।				 | 
			
			
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					कूटाक्ष					 :
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					पुं० [सं० कूट-अक्ष, कर्म० स०] जूआ खेलने का ऐसा बनाया हुआ पासा जिससे अधिकतर कोई या कुछ विशिष्ट दाँव ही आते हों। (छलपूर्वक किसी को जीतने का साधन)				 | 
			
			
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					कूटाख्यान					 :
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					पुं० [सं० कूट-आख्यान, कर्म० स०] १. कल्पित कथा। २. ऐसी कथा जिसमें कुछ ऐसे वाक्य हों जिनका कुछ अर्थ ही न लगता हो।				 | 
			
			
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					कूटागार					 :
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					पुं० [सं० कूट-आगार, कर्म० स०] १. बौद्धों के अनुसार वह मंदिर जो मानुषी बुद्धों के लिए बना हो। २. छत के ऊपर की कोठरी। चौबारा। ३. तहखाना।				 | 
			
			
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					कूटायुध					 :
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					पुं० [सं० कूट-आयुध, कर्म० स०] ऐसा आयुध या हथियार जो किसी दूसरी चीज के अन्दर छिपा हुआ हो। जैसे—गुप्ती जो ऊपर से देखने में छड़ी जान पड़ती है पर जिसके अन्दर बरछी रहती है।				 | 
			
			
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					कूटार्थ					 :
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					वि० [सं० कूट-अर्थ, कर्म० स०] (लेख या वाक्य) जिसका अर्थ सहज में न जाना जा सके। पुं० लेख्य या वाक्य का उक्त प्रकार का अर्थ।				 | 
			
			
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					कूटावपात					 :
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					पुं० [सं० कूट-अवपात० कर्म० स०] जंगली जानवरों को फँसाने के लिए बनाया हुआ गड्ढा जो ऊपर से घास-पात से ढका रहता है।				 | 
			
			
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