शब्द का अर्थ
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					केक					 :
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					सर्व० [सं० ‘किम्’, के० ब० स० के का देश रूप] कई एक। अनेक। उदाहरण—ज़ड़ै उड़ि अग्नि झरै असि जोर, टरैं भट केक टरैं जिम ढोर।—कविराजा सूर्यमल। २. कितने ही। उदाहरण—कै पाखान गढ़ि केक मग, भ्रम तमाल पुछ्दत् फिरिय।—चन्दबरदाई। स्त्री० [अं०] एक प्रकार का युरोपीय पकवान।				 | 
			
			
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					केकड़ा					 :
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					पुं० [सं० कर्कटकः] एक प्रसिद्ध जल-जंतु जिसके आठ पैर और दो पंजे होते हैं। (क्रैब) मुहावरा—केकड़े की चाल चलना=टेढ़ी-मेढ़ी चाल चलना।				 | 
			
			
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					केकय					 :
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					पु० [सं० ०] १. कश्मीर और उसके आसपास के प्रदेश का प्राचीन नाम। २. उक्त प्रदेश के निवासी। ३. उक्त प्रदेश के एक प्रसिद्ध राजा, जिनकी लड़की कैकेयी अयोध्या के राजा दशरथ को ब्याही थी, और जिनके गर्भ से भरत का जन्म हुआ था।				 | 
			
			
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					केकयी					 :
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					स्त्री=कैकेयी।				 | 
			
			
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					केकर					 :
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					पुं० [सं० के√कृ (करना)+अच्, अलुक्० स] १. ऐंचा। भेंगा। २. चार अक्षरों का एक तांत्रिक मंत्र। सर्व, किसका। (भोज०)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					केकरा					 :
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					पुं० =केकड़ा। सर्व०=किसे (भोज०)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					केकसी					 :
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					स्त्री०=कैकेसी।				 | 
			
			
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					केका					 :
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					स्त्री० [सं० के√कै (शब्द)+ड, अलुक् स०] मयूर की कूक बोली। उदाहरण—केका के सुने तै प्रान एका के रहत है।—सेनापति।				 | 
			
			
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					केकान					 :
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					पुं० [सं० ] १. एक प्राचीन देश का नाम। (संभवतः आजकल के फारस का खाकान) २. उक्त देश का घोड़ा।				 | 
			
			
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					केकिनी					 :
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					स्त्री० [सं० केकिन+डीप्] [स्त्री० केकिनी] केको की मादा। मोरनी।				 | 
			
			
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					केकी (किन्)					 :
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					पुं० [सं० केका+इनि] [स्त्री० केकिनी] मोर। मयूर।				 | 
			
			
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