शब्द का अर्थ
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					केल					 :
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					पुं० [सं० केलिक, प्रा० के लिय] एक प्रकार का पहाड़ी वृक्ष।				 | 
			
			
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					केलक					 :
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					पुं० [सं०√केल् (कीड़ा करना)+ण्वुल्-अक] १. तलवार की धार पर चलने या नाचनेवाला व्यक्ति। २. नर्तक।				 | 
			
			
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					केला					 :
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					पुं० [सं० कदल, प्रा० कयल] १. गरम प्रदेशों में होनेवाला एक प्रसिद्ध पौधा जिसके पत्ते बहुत लंबे तथा बड़े होते हैं। २. उक्त पेड़ का फल जो लंबा गूदेदार तथा मीठा होता है।				 | 
			
			
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					केलास					 :
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					पुं० [सं० केला=विलास√सद् (बैठना)+ड] १. स्फटिक। २. किसी रसायनिक घोल या तत्त्व का वह छोटे-छोटे टुकड़ोंवाला कोणाकार रूप जो उसके सूखने या घन होने पर बनता है। राव। (क्रिस्टल)।				 | 
			
			
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					केलास-नाथ					 :
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					पुं० [ष० त०] शिव।				 | 
			
			
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					केलासन					 :
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					पुं० [सं० केलास से] रासायनिक घोल या तत्त्व का सूख तथा घन होकर छोटे-छोटे केलासों या रवों का रूप धारण करना। (क्रिस्टलाइजेशन)				 | 
			
			
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					केलासीय					 :
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					वि० [सं० केलास+छ-ईय] १. केलासों की तरह सफेद तथा पारदर्शक। २. केलास-संबंधी।				 | 
			
			
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					केलि					 :
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					स्त्री० [सं० √केलि+इन्] १. कोई ऐसी क्रिया जिससे मनोरंजन होता हो। कीड़ा। खेल। २. हँसी मजाक। ३. मैथुन। रति। ४. पृथ्वी। स्त्री० [सं० कदली] केला (वृक्ष और फल)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					केलि-कला					 :
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					स्त्री० [मध्य० स०] १. सरस्वती की वीणा। २. मैथुन रति।				 | 
			
			
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					केलि-मैथुन					 :
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					पुं० [मध्य० स०] मन में संभोग का विचार रखकर अथवा कामुक दृष्टि से स्त्रियों के साथ तरह-तरह के खेल खेलना।				 | 
			
			
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					केलिक					 :
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					पुं० [सं० केलि+ठन्-इक] अशोक का पेड़। वि० [सं० केलि] १. केलि या क्रीड़ा संबंधी। २. केलि या क्रीड़ा करनेवाला।				 | 
			
			
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					केलिकिल					 :
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					पुं० [सं० केलि√किल् (क्रीड़ा)+क] १. नाटक का विदूषक। २. शिव का एक अनुचर। स्त्री० रति।				 | 
			
			
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					केली					 :
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					स्त्री०=केलि। स्त्री० [हिं० केला] १. छोटे फलों वाले केले के पौधों की एक जाति। २. उक्त पौधे के फल, जिनकी तरकारी बनती है।				 | 
			
			
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					केलूराव					 :
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					पुं० =केल (वृक्ष)।				 | 
			
			
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					केलो					 :
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					पुं० =केल। (वृक्ष)।				 | 
			
			
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