शब्द का अर्थ
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					केश					 :
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					पुं० [सं०√क्लिश् (पीड़ित होना+अच्, ल का लोप] १. शरीर के किसी अंग के विशेषतः सिर पर के बाल। २. शेर और घोड़े की गरदनों पर होनेवाले बाल। अयाल। ३. रश्मि। किरण। ४. विश्व। ५. विष्णु। ६. सूर्य। ७. वरुण। ८. दे० ‘केशी’ (दैत्य)।				 | 
			
			
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					केश-कर्म (न्)					 :
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					पुं० [ष० त०] १. बालों को सँवारने, सजाने तथा चोटी जूड़ा आदि गूँथने या बाँधने आदि की कला या काम। २. मुंडन-संस्कार।				 | 
			
			
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					केश-कल्प					 :
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					पुं० [ष० त०] १. सर के बालों को खिजाब, मेंहदी आदि से रँगना। २. केश रँगने की वस्तुएँ (हेयर-डाई)।				 | 
			
			
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					केश-कीट					 :
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					पुं० [ष० त०] बालों में पड़नेवाला जूँ नामक कीड़ा।				 | 
			
			
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					केश-पर्णी					 :
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					स्त्री० [ब० स०] अपामार्ग। चिचड़ा।				 | 
			
			
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					केश-पाश					 :
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					पुं० [ष० त०] १. सिर पर के बालों की लट। २. सिर के बालों का जूड़ा।				 | 
			
			
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					केश-बन्ध					 :
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					पुं० [ष० त०] १. सिर के बालों या लटों को बाँधने की पट्टी। २. नृत्य में एक प्रकार का हस्तक जिसमें बालों का जूड़ा बाँधने का ढंग दिखाया जाता है।				 | 
			
			
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					केश-भूषा					 :
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					स्त्री० [ष० त०] दे० ‘केश-विन्यास’।				 | 
			
			
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					केश-मथनी					 :
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					स्त्री० [सं०√मथ् (मथना)+ल्युट्-अन, ङीष्, केश-मथनी, ष० त०] शमी नामक वृक्ष।				 | 
			
			
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					केश-रंजन					 :
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					पुं० [ष० त०] १. बालों को रंगने का काम। २. भृंगराज। भँगरैया।				 | 
			
			
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					केश-राज					 :
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					पुं० [सं० केश√राज् (शोभित होना)+घञ्] १. भुजंगा पक्षी। २. भँगरैया।				 | 
			
			
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					केश-रूपा					 :
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					स्त्री० [ब० स०] पेड़ पर का बाँदा। बंदाल।				 | 
			
			
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					केश-वपनीय					 :
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					पुं० [ब० स०] एक प्रकार का अतिरात्र यज्ञ।				 | 
			
			
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					केश-वर्धिनी					 :
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					पुं० [ष० त०] सहदेवी नाम की बूटी। सहदेइया।				 | 
			
			
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					केश-विन्यास					 :
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					पुं० [ष० त०] सिर के बालों को ठीक तरह से सँवार या सजाकर जूड़े आदि के रूप में बाँधना। (हेयर स्टाइल)।				 | 
			
			
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					केश-हंत्री					 :
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					स्त्री [ष० त०] शमी का पेड़।				 | 
			
			
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					केशक					 :
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					वि० [सं० केश+कन्] बालों को ठीक प्रकार से सँवारने की विद्या जाननेवाला। पुं० बहुत छोटा पतला बाल। रोआँ।				 | 
			
			
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					केशट					 :
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					पुं० [सं० केश√अट् (गति)+अच्] १. विष्णु। २. कामदेव के पाँच बाणों में से एक। ३. बकरा। ४. खटमल।				 | 
			
			
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					केशर					 :
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					पुं० =केसर।				 | 
			
			
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					केशराम्ल					 :
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					पुं० [केशर-अम्ल, स० त०] १. अनार। २. बिजौरा। नीबू।				 | 
			
			
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					केशरी (रिन्)					 :
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					पुं० [सं० केशर+इनि]=केशरी।				 | 
			
			
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					केशरी-किशोर					 :
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					पुं० [ष० त०] हनुमान्।				 | 
			
			
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					केशलुंच					 :
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					पुं० [सं० केश√लुञ्च् (हटाना)+अण्] एक प्रकार के जैन साधू जो अपने सिर के बाल नोचकर अलग करते हैं। वि० अपने बाल नोचनेवाला।				 | 
			
			
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					केशव					 :
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					वि० [सं० केश√वा (गति)+ड] जिसके लंबे तथा सुंदर बाल हों। पुं० १. विष्णु। २. ब्रह्मा। ३. श्रीकृष्ण। ४. पुन्नाग का पेड़।				 | 
			
			
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					केशव-वसन					 :
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					स्त्री० [ष० त०] पीतांबर।				 | 
			
			
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					केशवायुध					 :
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					पुं० [सं० केशव-आयुध, ष० त०] १. भगवान विष्णु का आयुध। २. आम।				 | 
			
			
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					केशवालय					 :
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					पुं० [सं० केशव-आलय, ष० त०] पीपल का पेड़। वासुदेव। वृक्ष।				 | 
			
			
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					केशाकेशि					 :
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					स्त्री० [सं० केश-केश, ब० स०] दो आदमियों का एक दूसरे के बाल पकड़कर खींचना। झोंटा-झोंटौवल।				 | 
			
			
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					केशांत					 :
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					पुं० [सं० केश-अंत, ब० स०] १. बाल का सिरा। २. मुंडन संस्कार।				 | 
			
			
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					केशारुहा					 :
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					स्त्री० [सं० केश-आ√रुह (पैदा होना)+क, टाप्] सहदेवी बूटी। सहदेइया।				 | 
			
			
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					केशि					 :
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					पुं० [सं० केशिन] केशी (असुर)।				 | 
			
			
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					केशिक					 :
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					वि० [सं० केश+ठन्-इक] १. केशोंवाला। २. (व्यक्ति) जिसके लंबे तथा सुंदर बाल हों।				 | 
			
			
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					केशिका					 :
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					स्त्री० [सं० केशिन्√कै (शब्द)+क-टाप्] १. शतावरी। २. किसी चीज के ऊपर के बहुत छोटे-छोटे रोएँ। (कपिलरी) जैसे—शरीर में रक्त-वाहिनी नसों पर केशिकाएँ होती हैं।				 | 
			
			
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					केशिनी					 :
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					स्त्री० [सं० केश+इनि, ङीष्] लंबे तथा सुंदर बालोंवाली स्त्री। २. राजा सगर की एक रानी। ३. पार्वती की एक सखी। ४. एक प्राचीन नगरी। ५. जटामाँसी। ६. चोर। पुष्पी। (एक ओषधि)।				 | 
			
			
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					केशी (शिन्)					 :
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					वि० [सं० केश+इनि] [स्त्री० केशिनी०] १. लंबे और सुन्दर बालोंवाला। २. किरणों या प्रकाश से युक्त। पुं० १. एक असुर जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया था। २. घोड़ा। ३. सिंह। ४. एक यादव। स्त्री० [सं० केश+ङीष्] १. नील का पौधा। २. भूतकेश नामक ओषधि। ३. केवाँच। कौंछ। ४. एक वृक्ष जिसके पत्ते खजूर के पत्तों जैसे होते हैं।				 | 
			
			
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					केश्य					 :
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					पुं० [सं० केश+यत्] काला अगर।				 | 
			
			
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