शब्द का अर्थ
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					कोठ					 :
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					पुं० [सं० कुंठ (प्रतिघात)+अच्० नलोप० नि०] १. कोढ़ का एक प्रकार जिसमें शरीर पर बड़े तथा गोल चकते पड़ जाते हैं। २. बाँसों की बड़ी कोठी। वि० [सं०√कुंठ] १. (दाँत) जिससे कोई चीज चबाई न जा सके। कुंठित। २. इतना खट्टा (पदार्थ) जो चबाया न जा सके। ३. (दाँत) जो अधिक खट्टी वस्तु न चबा सकते हों।				 | 
			
			
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					कोठड़ी					 :
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					स्त्री०=कोठरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					कोठर					 :
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					पुं० [सं०√कुठ्+अर्, पृषो० सिद्धि] अंकोल का पेड़।				 | 
			
			
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					कोठर-पुष्पी					 :
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					स्त्री० [सं० ब० स० ङीष्] विधारा नाम की लता।				 | 
			
			
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					कोठरा					 :
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					पुं० [हिं० कोठा] [स्त्री० अल्पा० कोठरी] १. बड़ी कोठरी। २. रहस्य संप्रदाय में देह या शरीर।				 | 
			
			
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					कोठरी					 :
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					स्त्री० [हिं० कोठा (अल्पा० प्रत्यय)] चारों ओर से घिरा तथा छाया हुआ छोटा कमरा जिसमें प्रायः अंधेरा होता है।				 | 
			
			
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					कोठा					 :
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					पुं० [सं० कोष्ठ, कोष्ठक, पा० कोठो, प्रा० कोठ्ठअ, उ० मरा० कोठा, पुं० कोठ्ठा, सिंह० कोटुव, कोठ] १. मकान या ऊपरी खंड या मंजिल। २. ऊपरी मंजिल पर बना हुआ बड़ा कमरा। ३. रंडियाँ या वेश्याओं का घर। यौ०-कोठेवाली=वेश्या। ४. बड़ी कोठी। ५. लाक्षणिक अर्थ में पेट। मुहावरा—कोठा बिगड़ना=अपच होना। कोठा भरना-पेट भरना। खूब खाना। कोठा साफ होना-दस्त होना। ६. कोठार। भंडार। ७. गर्भाशय।				 | 
			
			
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					कोठाकुचाल					 :
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					पुं० [हिं० कोठा+कुचाल] हाथियों की एक बीमारी जिसमें उनकी भूख मर जाती है।				 | 
			
			
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					कोठादार					 :
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					पुं० [हिं० कोठा+फा० दार] १. भंडारी। २. दे० दे० कोठीदार।				 | 
			
			
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					कोठार					 :
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					पुं० [हिं० कोठा] अन्न, धन आदि रखने का स्थान। भंडार।				 | 
			
			
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					कोठारी					 :
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					पुं० [हिं० कोठार+ई (प्रत्य)] कोठार या भंडार का अधिकारी। भंडारी।				 | 
			
			
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					कोठी					 :
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					स्त्री० [सं० कोष्टिका, प्रा० कोट्ठिआ-या, पं० कोठ्ठी, उ० गु० मरा० सि० कोठी] १. बहुत ऊंचा पक्का तथा खुला हुआ मकान। २. वह मकान जिसमें कोई बहुत बड़ा कारोंबार या लेन-देन होता है। (फर्म)। मुहावरा—कोठी बैठना=कारोबार बंद होना। ३. अनाज रखने का कोठार। ४. किसी चीज का भंडार। उदाहरण—सोक कलंक कोठि जनि होहु।—तुलसी। ५. कुएँ, पुल आदि की रचना में वास्तु का वह अंश जो पानी के नीचे बहुत गहराई तक धँसाया जाता है। ६. बंदूक में का वह स्थान जिसमें बारूद रखी जाती है। ७. गर्भाशय। ८. बाँसो में का वह समूह जो किसी स्थान पर घेरा बाँधकर उगता है। स्त्री० [हिं० कोठा] कोल्हू के बीच का वह घेरा जिसमें डालकर ऊख के टुकड़े पेरे जाते हैं।				 | 
			
			
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					कोठीवाल					 :
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					पुं० [हिं० कोठी+वाला (प्रत्यय)] बहुत बड़ा कारोबार करनेवाला व्यापारी, जिसकी कोठी चलती है।				 | 
			
			
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					कोठीवाली					 :
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					स्त्री० १. =कोठीवाल या बहुत बड़े़ व्यापारी होने की अवस्था या भाव। २. उत्तर भारत में महाजनों में प्रचलित एक प्रकार की लिपि।				 | 
			
			
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