खपना/khapana

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खपना  : अ० [सं० क्षय, प्रा० खय] [संज्ञा खपत] १. (अनावश्यक, खराब अथवा फालतू वस्तुओं का) उपयोग या व्यवहार में आना या काम में आना। जैसे–(क) ईटों के टुकड़े भी दीवार में खप गयें।(ख) इन रुपयों में एक खोटा रुपया भी खप जाएगा। २. चीजों का बिककर समाप्त होना। जैसे–दिसावर में माल खपना। ३.गुजर होना। निभना। ४. नष्ट होना। उदाहरण–उपजै, खपै, जोनि फिर आवे।–कबीर। ५. अस्त्र-शस्त्र आदि से काटा या मारा जाना। हत होना। जैसे–लड़ाई में सिपाहियों का खपना। ६. कोई काम करने के लिए बहुत अधिक परिश्रम करते हुए तंग या परेशान होना। जैसे–दिन भर खपने पर अब यह काम पूरा हुआ है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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