| शब्द का अर्थ | 
					
				| खूँटी					 : | स्त्री० [हिं० खूँटा का स्त्री० अल्पा०] १. जमीन आदि में गाड़ा जानेवाला छोटा खूँटा। जैसे–खेमे की खूँटी, खड़ाऊ की खूँटी। २. खेतों में खूँटों की भाँति निकले हुए (फसल के) वे डंठल जो फसल काट लेने पर बचे रहते हैं। ३. दीवार में कोई चीज टाँगने, बाँधने, लटकाने आदि के लिए गाड़ी जानेवाली कील आदि। ४. दाढ़ी पर के बालों के वे छोटे-छोटे अंश या अंकुर जो उस्तरे से दाढ़ी बनाने पर भी बचे रहते हैं। मुहावरा–खूँटी निकालना वा लेना=इस प्रकार मूँड़ना कि बाल त्वचा के बाहर निकला हुआ न रह जाए। ५. नील की फसल एक बार कट जाने पर उसी जगह आप से आप उगने वाली उसकी दूसरी फसल। दोरेजी। ६. किसी चीज के विस्तार का अंतिम अंश या भाग। सीमा। हद। | 
			
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				| खूँटी उखाड़					 : | पुं० [हिं० खूँटी+उखाड़ना] घोड़े की एक भौरी। (कहते है कि जिस घोड़े के शरीर पर यह भौरी होती है, वह खूँटे से बँधे रहने पर बहुत उपद्रव करता है।) | 
			
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				| खूँटीगाड़					 : | पुं० [हिं० खूँटी+गाड़ना] घोड़े की एक भौंरी (कहते है कि जिस घोड़े के शरीर पर यह भौंरी होती है, वह सदा खूँटे से बँधा रहना ही पसंद करता है।) | 
			
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