शब्द का अर्थ
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					छान					 :
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					स्त्री० [सं० छादन] छप्पर। छाजन। स्त्री० [हिं० छानना] छानने की क्रिया या भाव। पद–छान-बीन-(दे०)। स्त्री० [सं० छंद या हिं० छाँद] चौपायों के पैरों में बाँधी जानेवाली रस्सी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					छान-बीन					 :
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					स्त्री० [हिं० छानना+बीनना] १. छानने या बीनने की क्रिया या भाव। २. अनुंसधान। जाँच-पड़ताल।				 | 
			
			
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					छानना					 :
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					स० [सं० चालन] १. (क) चलनी या छाननी में कोई चीज डालकर उसे (चलनी को) बार-बार इस प्रकार हिलाना कि उस चीज के मोटे कण चलनी में बचे रहें और महीन कण नीचे गिर पड़ें। जैसे–गेहूँ छानना। (ख) कपड़े के ऊपर चूर्ण या बुकनी रखकर उसे ऊपर से हाथ से इस प्रकार चलाना कि उसमें का महीन अंश नीचे छनकर गिर पड़े। कपड़छान करना। (ग) किसी तरल पदार्थ को चलनी या वस्त्र में से इस प्रकार निकालना कि उसमें मिले या पड़े मोटे कण ऊपर रह जाएँ। जैसे–चाय या दूध छानना। (घ) उक्त के आधार पर पिसी या धुली हुई भाँग के संबंध में उक्त क्रिया करना। मुहावरा–भाँग छानना=भाँग पीस या घोलकर पीना। विशेष–कुछ लोग इसी के आधार पर शराब के साथ छानना क्रिया का प्रयोग करते है जो ठीक नहीं है। २. ऐसी रासायनिक क्रिया करना जिससे एक धातु में मिला हुआ दूसरी धातु का अंश अलग हो जाय। जैसे–तेजाब में सोना छानना। ३. कोई चीज ढूँढने के लिए सब जगह या सब चीजें अच्छी तरह देखना भालना। जैसे–(क) सारा घर या शहर छानना। (ख) पूरी रामायण या महाभारत छानना।				 | 
			
			
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					छाननी					 :
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					स्त्री०=चलनी।				 | 
			
			
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					छाना					 :
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					स० [सं० छादनकृ० पा० छाद] १. छाया के लिए किसी स्थान पर कोई आवरण डालकर या कोई रचना खड़ी कर उसे ढकना। जैसे–छाजन छाना। २. छाया करने के लिए किसी स्थान से कुछ ऊपर कोई वस्त्र तानना या फैलाना। ३. आवास के प्रसंग में, निर्मित करना। जैसे–घर या झोपड़ी छाना। अ० १. किसी चीज या बात का इस प्रकार चारों ओर फैल जाना कि अपने क्षेत्र में हर जगह दिखाई दे। जैसे–अंधकार छाना, बादल छाना, रोव छाना। २. डेरा डाल कर या जमकर कहीं रहना। उदाहरण–जोगिया जी छाइ रह्या परदेश।–मीराँ।				 | 
			
			
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					छानि					 :
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					स्त्री०=छानी।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					छानी					 :
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					स्त्री० [हिं० छाना] घास-फूस की छाजन। मुहावरा–(किसी की) छानी छवाना=ऐसी व्यवस्था करना कि कोई सुरक्षित रूप से रह सके। वि० छिपा हुआ। गुप्त।				 | 
			
			
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					छाने-छाने					 :
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					क्रि० वि० [हिं० छाना] चुपके से। छिपे-छिपे।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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