छाया-नाटय/chhaaya-naatay

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छाया-नाटय  : पुं० [सं०] पुतलियों का एक प्रकार का नाटक जिसमें चमड़े की पुतलियाँ और पुतले बनाकर उन्हें कठपुतलियों की तरह इस प्रकार नचाया और उनसे अभिनय कराया जाता था कि उनकी छाया आगे पड़े हुए उस पर्दे पर पड़ती जो दर्शकों के सामने होता था। विशेष–इसका आरंभ चीन में और विकास भारत में हुआ था जहाँ से यह भारत और अरब होता हुआ अफ्रीका और यूरोप में पहुँचा था। यही आधुनिक चलचित्रों का मूल रूप माना गया है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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