ज्वल/jval

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ज्वल  : पुं० [सं०√ज्वल् (दीप्ति)+अच्] १. ज्वाला। अग्नि। २. दीप्ति। प्रकाश।
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ज्वलका  : स्त्री० [सं√ज्वल्+ण्वुल-अक, टाप्] आग की लपट। अग्निशिखा।
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ज्वलंत  : वि० [सं० ज्वलत्] १. जलता और चमकता हुआ। देदीप्यमान। २. बहुत अच्छी तरह और स्पष्ट रूप से दिखाई देनेवाला। जैसे–ज्वलंत उदाहरण या प्रमाण।
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ज्वलन  : पुं० [सं०√ज्वल्+ल्युट-अन] १. कोई चीज जलने की क्रिया या भाव दहन। जलना। २. जलन दाह। ३. [√ज्वल्+युच्-अन] अग्नि। आग। ४. आग की लपट। ५. चित्रक या चीता नामक वृक्ष।
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ज्वलनांक  : पुं० [ज्वलन-अंक, ष० त०] तीव्र तापमान की वह मात्रा या स्थिति जो किसी चीज को जला देने में समर्थ होती है। (बर्निग प्वाईंट)।
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ज्वलनांत  : पुं० [ज्वलन-अंत, ब० स०] एक बौद्ध का नाम।
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ज्वलानाश्मा(श्मन्)  : पुं० [ज्वलन-अश्मन्, कर्म० स०] सूर्यकांत मणि।
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ज्वलित  : भू० कृ० [सं०√ज्वल्+क्त] १. जलता या जलाया हुआ। २. जला हुआ। दग्ध। ३. खूब चमकता हुआ। ४. स्पष्ट रूप से सामने दिखाई देनेवाला।
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ज्वलिनी  : स्त्री० [सं० ज्वल-इनि+ङीष्] मूर्वा लता। मरोड़फली।
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ज्वलिनी सीमा  : स्त्री० [सं० व्यस्त पद] दो गाँवों के बीच की वह सीमा जो ऊंचे पेड़ लगाकर बनाई गई हो।
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