शब्द का अर्थ
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					झर					 :
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					स्त्री० [सं०√झृ (झरना)+अच्] १. पानी का झरना। निर्झर। सोता। २. समूह। ३. तेजी। वेग। ४. पानी की (या और किसी चीज की) लगातार होनेवाली झड़ी। ४. ‘आग की लपट’। ५. दे० झड़ी। स्त्री० [हिं० झाल का पुराना रूप] १. ज्वाला। जलना। २. गरमी। ताप। उदाहरण–नैंक न झुरसी बिरह-झर नेह लता कुम्हलाति।–बिहारी।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					झरक					 :
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					स्त्री=झलक।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					झरकना					 :
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					अ० १.=झिड़कना। २. झनखना।				 | 
			
			
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				समानार्थी शब्द- 
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					झरझर					 :
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					स्त्री० [अनु०] तेज हवा के चलने से अथवा उसके किसी चीज के टकराने से होनेवाला शब्द। क्रि० वि० झरझर शब्द करते हुए।				 | 
			
			
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					झरझराना					 :
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					अ० [हिं० झरझर] १. झरझर शब्द होना। २. झरझर शब्द करते हुए किसी चीज का चलना, जलना या बहना। स० इस प्रकार किसी चीज को गिराना कि वह झरझर शब्द करे।				 | 
			
			
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					झरन					 :
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					स्त्री० [हिं० झरना०] १. झरने की क्रिया या भाव। २. झर कर निकलनेवाली या निकली हुई चीज। ३. दे० ‘झड़न’।				 | 
			
			
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					झरना					 :
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					पुं० [सं० क्षर] [स्त्री० अल्पा० झरनी] १. पहाड़ों आदि में ऊँचे स्थान से नीचे गिरनेवाला जल प्रवाह।। २. लगातार बहनेवाली पानी की कोई प्राकृतिक छोटी जल-धारा। चश्मा। सोता। ३. कपड़ों की बुनाई का वह प्रकार जिसमें थोड़ी-थोड़ी दूर पर दूसरे रंग के सूत इस प्रकार लगाये जाते हैं जो देखनें में धाराओं के समान जान पड़ते हों। जैसे–झऱने की साड़ी। वि० झरनेवाला। वि० झरनेवाला। अ० ऊँचे स्थान से पानी या और किसी चीज का लगातार नीचे गिरना। पुं० [सं० क्षरण०] [स्त्री० अल्पा० झरनी] १. अनाज छानने की एक प्रकार की बड़ी छलनी। २. लंबी डंडी की एक झँझरीदार चिपटी कलछी। पौना। अ=झड़ना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरनी					 :
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					स्त्री० हिं० झरना का स्त्री अल्पा० रूप।				 | 
			
			
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					झरप					 :
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					स्त्री० [अनु०] १.=झड़प २.=झकोरा। ३.=तेज़ी। वेग। ४.=चाँड़। टेक। ५. चिक। चिलमन। ६. झरोखा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरपना					 :
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					अ० स०=झड़पना। अ० [अनु०] बौछार मारना।				 | 
			
			
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					झरपेटा					 :
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					पुं०=झपेटा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरफ					 :
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					स्त्री०=झरिफ (चिलमन)।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरबेर					 :
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					पुं०=झड़-बेरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरबैरी					 :
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					स्त्री०=झड़-बेरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरवाना					 :
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					स०=झड़वाना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरसना					 :
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					अ० [अनु०] १. झुलसना। २. मुरझाना। स० १. झुलसना। २. मुरझाने या सूखने में प्रवृत्त करना।				 | 
			
			
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					झरहरना					 :
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					अ०=झरझराना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरहरा					 :
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					वि०=झँझरा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरहराना					 :
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					स०=झरझराना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरहिल					 :
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					स्त्री० [देश] एक प्रकार की चिड़िया।				 | 
			
			
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					झरा					 :
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					पुं० [देश०] एक प्रकार का धान।				 | 
			
			
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					झराझर					 :
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					क्रि० वि० [अनु०] १. झरझर शब्द करते हुए। २. निरंतर। लगातार। ३. जल्दी-जल्दी या वेगपूर्वक।				 | 
			
			
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					झरापना					 :
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					अ०=झरपना (झड़पना)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झराबोर					 :
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					पुं० वि०=झलाबोर।				 | 
			
			
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					झरार					 :
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					वि० [हिं० झाल] झालदार। चरपरा।				 | 
			
			
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					झराहर					 :
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					पुं० [सं० ज्वालाधर] सूर्य।				 | 
			
			
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					झरि					 :
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					स्त्री=झड़ी अव्य० [ ?] १. बिलकुल। २. कुल। सब। पुं०=झार।				 | 
			
			
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					झरिफ					 :
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					पुं० [हिं० झरप] १. चिक। चिलमन। २. परदा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झरी					 :
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					स्त्री० [हिं० झरना] १. पानी का झरना। सोता। चश्मा। २. वह धन जो हाट या बाजार में बैठकर सौदा बेचनेवाले छोटे दूकानदारों से नित्य प्रति कर के रूप में उगाहा जाता है। ३. दो तख्तों, पत्थरों आदि के बीच में पड़नेवाला थोड़ा-सा अवकाश। दरज। ४. दे० ‘झड़ी’।				 | 
			
			
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					झरुआ					 :
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					पुं० [देश०] एक प्रकार की घास।				 | 
			
			
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					झरोखा					 :
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					पुं० [अनु० झरझर=वायु बहने का शब्द-ओख=गावाक्ष] १. दीवार में बनी हुई जालीदार छोटी खिड़की। २. खिड़की।				 | 
			
			
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					झर्झर					 :
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					पुं० [सं० झर्झ√रा (दान)+क] १. एक प्रकार का पुराना बाजा जिसपर चमड़ा मढ़ा हुआ होता था। २. झाँझ। ३. पैर में पहनने की झाँझन। ४. कलियुग। ५. एक प्राचीन नद। ६. रसोई में काम आनेवाला झरना नामक उपकरण। पौना।				 | 
			
			
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					झर्झरक					 :
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					पुं० [सं० झर्झर+कन्] कलियुग।				 | 
			
			
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					झर्झरा					 :
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					स्त्री० [सं० झर्झर+टाप्] १. तारादेवी का एक नाम। २. रंडी। वेश्या।				 | 
			
			
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					झर्झरावती					 :
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					स्त्री० [सं० झर्झरा+मतुप्, वत्व, ङीप्] १. गंगा २. कटसरैया। (क्षुप)।				 | 
			
			
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					झर्झरिका					 :
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					स्त्री० [सं० झर्झरा+कन्,टाप्,इत्व] तारादेवी।				 | 
			
			
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					झर्झरी(रिन्)					 :
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					पुं० [सं० झर्झर+इनि] शिव। स्त्री० [सं० झर्झर+ङीष्] झाँझ नामक बाजा।				 | 
			
			
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					झर्झरीक					 :
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					पुं० [सं० झर्झर+ईकन्] १. देश। २. देह। शरीर। ३. चित्र। तस्वीर।				 | 
			
			
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				| 
					झर्प					 :
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					स्त्री०=झड़प।				 | 
			
			
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					झर्रा					 :
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					पुं० [देश०] १. एक प्रकार की छोटी चिड़िया। २. बया नामक पक्षी।				 | 
			
			
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					झर्राटा					 :
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					पुं० [अनु०] कपड़ा फटने अथवा फाड़े जाने पर होनेवाला शब्द। क्रि० वि० चटपट। तुरन्त।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)				 | 
			
			
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					झर्रैया					 :
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					पुं० [देश०] बया (पक्षी)।				 | 
			
			
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