टोकना/tokana

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टोकना  : स० [हिं० टोक+ना (प्रत्यय)] १. वक्ता के बोलते समय बीच में ही श्रोता का उसे कोई बात कहने से रोकना अथवा किसी बात के संबंध में अपनी शंका प्रकट करना। विशेष–साधारणतः लोक में इस प्रकार के प्रश्न अपशकुन के रूप में माने जाते हैं। २. किसी को कोई काम करते देखकर अथवा कोई काम करने के लिए प्रस्तुत देखकर उसे वह काम न करने के लिए अथवा उसे ठीक तरह से करने के लिए कहना। ३. लड़ने आदि के लिए आह्वान करना। पुं० [?] [स्त्री० अल्पा० टोकनी] १. टोकरा। २. एक प्रकार का हंडा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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