ठाक/thaak

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ठाक  : स्त्री० [हिं० ठाकना] ठाकने अर्थात् रोकने या मना करने की क्रिया या भाव। पुं० हिं० ‘ठीक’ का निरर्थक अनुकरण। जैसे–ठीक-ठाक करना।
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ठाकना  : पुं० [सं० स्था] कोई ऐसा काम करने से रोकना जिसका परिणाम या प्रभाव प्रायः बुरा होता हो। मना करना। जैसे–बच्चे को गाली देने से ठाकना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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ठाकुर  : पुं० [सं० ठाकुर] [स्त्री० ठकुराइन, ठकुरानी] १. देवमूर्ति, विशेषकर विष्णु या उनके अवतारों की प्रतिमा। देवता। २. ईश्वर। भगवान। ३. मालिक। स्वामी। ४. किसी भूखंड का स्वामी। ५. नायक। सरदार। ६. गाँव का जमींदार या मुखिया। ७. पूज्य व्यक्ति। ८. क्षत्रियों की एक उपाधि। ९. नाइयों के लिए एक संबोधन।
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ठाकुर-सेवा  : स्त्री० [हिं० ठाकुर+सं० सेवा] १. देवता का पूजन और सेवा। २. देवता के भोग-राग के लिए मंदिर के नाम अर्पित की हुई संपत्ति।
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ठाकुरद्वारा  : पुं० [हिं० ठाकुर+सं० द्वार] १. देवालय। मंदिर। जैसे–माई का ठाकुरद्वारा। २. सिक्खों का गुरुद्वारा।
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ठाकुरप्रसाद  : पुं० [हिं०] १. देवता को भोग लगाई हुई वस्तु। नैवेद्य। २. भादों में तैयार होनेवाला एक प्रकार का धान।
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ठाकुरबाड़ी  : स्त्री०=ठाकुरद्वारा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है)
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ठाकुरी  : स्त्री० [हिं० ठाकुर+ई (प्रत्यय)] १. ठाकुर होने की अवस्था, पद या भाव। २. वह प्रदेश जो किसी ठाकुर के अधिकार में हो। ३. शासन। ४. प्रधानता। ५. महत्त्व।
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