शब्द का अर्थ
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थम :
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पुं० [सं० स्तम्भ; प्रा० थंभ] १. खंभा। स्तम्भ। २. चाँड़। थूनी। ३. धरहरा। मुनारा। ४. पूरियों, मिठाइयों आदि का वह ढेर या थाक जो मांगलिक अवसरों पर देवता या देवी के आगे रखा जाता है। (पश्चिम)। |
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समानार्थी शब्द-
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थमकारी :
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वि० [सं० स्तंभ, हिं० थामन+कारी] १. थामनेवाला। २. स्तम्भन करने अर्थात् रोकनेवाला।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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थमना :
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अ० [सं० स्तंभन] १. चलते-चलते किसी चीज का रुकना या गतिहीन होना। जैसे—कोल्हू या गाड़ी का थमना। २. आड़, सहारे आदि के कारण किसी आधार पर ठहरा रहना और नीचे की ओर न आना या न गिरना। जैसे—चाँड़ लगने से छत का थमना। ३. किसी प्रकार की क्रिया, गति या प्रवाह का बन्द होना। जैसे—(क) युद्ध थमना। (ख) बरसता या बहता हुआ पानी थमना। ४. सब्र करके या यों ही किसी काम में लगने से कुछ समय के लिए ठहरना। धीरज धरना। जैसे—हमारे कहने से वह थम गया है; नहीं तो अब तक दावा कर देता। अ० [हिं० थामना का अ०] थाम लिया जाना। थामा जाना। |
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थमवाना :
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स० [हिं० थामना का प्रे०]=पकड़वाना। |
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थमाना :
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स० [हिं० थामना का प्रे०]=पकड़ाना। |
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थमाव :
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पु० [हिं० थमना+आव (प्रत्य०)] थमने या ठहरने की क्रिया, भाव या स्थिति। ठहराव। |
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थमुआ :
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पुं० [हिं० थामना] चप्पू या डाँड़ का वह भाग जहाँ से उसे नाव खेते समय पकड़ा जाता है। |
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