शब्द का अर्थ
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थू :
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अव्य० [अनु०] १. थूकने का शब्द। २. एक घृणासूचक शब्द। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
थूआ :
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पुं० [सं० स्तूप; प्रा० थूप, थूव] १. मिट्टी आदि का ऊँचा टीला। ढह। २. गीली मिट्टी का लोंदा। धोंधा। ३. मिट्टी का वह ढूह या मेंड़ जो सीमा आदि सूचित करने के लिए बनाई जाती है। ४. गीली मिट्टी का वह ढेर या लोंदा जो ढेकली आदि की लकड़ी पर भार के रूप में रखा जाता है। ५. किसी गीले पदार्थ का गोलाकार ढेर। जैसे—पीने के तमाकू का थूआ जो तमाकू की दुकानों पर रहता है। ६. वह बोझ जो कपड़े में बँधी हुई राब के ऊपर उसकी जूसी निकालने के लिए रखा जाता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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थूँक :
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पुं०=थूक। |
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थूक :
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पुं० [अनु० थू थू ] १. वह गाढ़ा, लसीला सफेद पदार्थ जो मुँह से प्रयत्नपूर्वक निकालकर बाहर गिराया या फेंका जाता है। पद—थूक है=(तुम्हें) धिक्कार या लानत है। मुहा०—थूक उछालना=व्यर्थ की बकवाद करना। थूक बिलोना=व्यर्थ की कहा-सुनी या बकवाद करना। (किसी को) थूक लगाना=बुरी तरह से नीचा दिखाना या परास्त करना। (अशिष्ट और बाजारू) थूक लगाकर रखना=बहुत बुरी तरह से जोड़-जोड़कर इकट्ठा करना या रखना। बहुत कंजूसी से जमा करना। थूकों सत्तू सानना=कंजूसी के कारण बहुत थोड़े व्यय में बहुत बड़ा काम करने का प्रयत्न करना। |
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थूँकना :
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स०=थूकना। |
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थूकना :
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स० [हिं० थूक+ना (प्रत्य०)] १. मुँह में आई हुई थूक अथवा रखी हुई कोई चीज बाहर गिराना या फेंकना। मुहा०—किसी (व्यक्ति या वस्तु) पर न थूकना=इतना अधिक घृणित समझना कि उस पर थूकने तक को जी न चाहे। थूक कर चाटना=(क) कोई वचन देकर मुकर जाना। (ख) किसी को कोई वस्तु देकर बाद में फिर ले लेना। (ग) फिर कभी वैसा घृणित काम न करने की प्रतिज्ञा करना। २. किसी के प्रति अपनी परम घृणा प्रकट या प्रदर्शित करना। |
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थूथन :
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पुं० [देश०] १. कुछ विशिष्ट प्रकार के पशुओं का लंबोतरा और कुछ आगे की ओर निकला हुआ मुँह। जैसे—घोड़े, बैल या सूअर का थूथन। २. रुष्ट व्यक्ति का फूला हुआ और रोषसूचक मुँह।(व्यंग्य) मुहा०—थूथन फुलाना=किसी से बहुत रुष्ट होकर बिलकुल चुप हो जाना। मुँह फुलाना। (व्यंग्य) |
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थूथनी :
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स्त्री० [हिं० थूथन] १. छोटा थूथन। २. हाथी के मुँह का एक रोग जिसमें ऊपर के तालू में घाव हो जाता है। ३. दे० ‘थूथन’। |
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थूथरा :
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वि० [हिं० थूथन] जो आकार-प्रकार या रूप रंग में थूथन की तरह का हो। |
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थून :
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स्त्री० [सं० स्थूण] थूनी। खंभा। पु० दक्षिण भारत में होनेवाला एक प्रकार का मोटा गन्ना। |
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थूना :
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पुं० [देश०] मिट्टी का वह लोंदा जिसमें रेशम, सूत आदि फेरने का परेता खोंसा जाता है। |
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थूनि :
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स्त्री०=थूनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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थूनी :
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स्त्री० [सं० स्थूण] १. लकड़ी आदि का खड़ा गड़ा हुआ बल्ला। खंभा। २. भारी चीज को गिराने से रोकने के लिए उसके नीचे लगाई जाने वाली मोटी और लंबी लकड़ी। चाँड़। ३. वह गड़ी हुई लकड़ी जिसमें रस्सी के फंदे से मथानी का डंडा खड़ा रखा जाता है। ४. आश्रय या रक्षा का स्थान। उदा०—कबीर थूनी पाई थित भई सति गुरु बाँधी धीर।—कबीर। |
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थून्हीं :
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स्त्री०=थूनी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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थूबी :
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स्त्री० [देश०] साँप के काटे हुए स्थान को गरम लोहे से दागकर विष दूर करने की क्रिया या प्रकार। |
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थूर :
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पुं० [सं० तूवर] अरहर। स्त्री० [हिं० थूरना] थूरने की क्रिया या भाव। |
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थूरना :
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स० [सं० थुवर्ण=मारना] १. अच्छी तरह कूटना। २. अच्छी तरह मारना-पीटना। ३. खूब कसकर भरना। ४. खूब कसकर और भर पेट भोजन करना। (व्यंग्य) उदा०—कैसी गधी हो, बच्चों का खाना हो हूँसती। रातिब तो तीन टट्टू का जाती हो थूर आप।—जान साहब।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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थूल :
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वि० [सं० स्थूल] १. मोटा। भारी। २. भद्दा।(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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थूला :
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वि० [सं० स्थूल] [स्त्री० थूली] १. मोटा-ताजा। हृष्ट-पुष्ट। २. भारी और मोटा। |
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थूवा :
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पुं०=थुआ। (देखें) |
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थूहड़ :
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पुं०=थूहर। |
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थूहर :
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पुं० [सं० स्थूल] एक प्रकार का झाड़ या पौधा जिसमें लचीली टहनियों की जगह प्राय |
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थूहा :
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पुं० [सं० स्तूप; प्रा० थूब] [स्त्री० अल्पा० थूही] १. छोटा टीला। ढूह। २. ढेर। राशि। ३. कूओं आदि पर मिट्टी के बने हुए वे दोनों खम्भे जिन पर वह लकड़ी या लोहे का छड़ रखा जाता है जिसमें गराड़ी पहनाई हुई होती है। |
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