शब्द का अर्थ
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थूक :
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पुं० [अनु० थू थू ] १. वह गाढ़ा, लसीला सफेद पदार्थ जो मुँह से प्रयत्नपूर्वक निकालकर बाहर गिराया या फेंका जाता है। पद—थूक है=(तुम्हें) धिक्कार या लानत है। मुहा०—थूक उछालना=व्यर्थ की बकवाद करना। थूक बिलोना=व्यर्थ की कहा-सुनी या बकवाद करना। (किसी को) थूक लगाना=बुरी तरह से नीचा दिखाना या परास्त करना। (अशिष्ट और बाजारू) थूक लगाकर रखना=बहुत बुरी तरह से जोड़-जोड़कर इकट्ठा करना या रखना। बहुत कंजूसी से जमा करना। थूकों सत्तू सानना=कंजूसी के कारण बहुत थोड़े व्यय में बहुत बड़ा काम करने का प्रयत्न करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
थूकना :
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स० [हिं० थूक+ना (प्रत्य०)] १. मुँह में आई हुई थूक अथवा रखी हुई कोई चीज बाहर गिराना या फेंकना। मुहा०—किसी (व्यक्ति या वस्तु) पर न थूकना=इतना अधिक घृणित समझना कि उस पर थूकने तक को जी न चाहे। थूक कर चाटना=(क) कोई वचन देकर मुकर जाना। (ख) किसी को कोई वस्तु देकर बाद में फिर ले लेना। (ग) फिर कभी वैसा घृणित काम न करने की प्रतिज्ञा करना। २. किसी के प्रति अपनी परम घृणा प्रकट या प्रदर्शित करना। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |