| शब्द का अर्थ | 
					
				| दंदा					 : | पुं० [देश०] ताल देने का पुरानी चाल का एक तरह का बाजा। | 
			
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				| दंदान					 : | पुं० बहु० [फा० दंदाँ] दाँत। | 
			
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				| दंदाना					 : | पुं० [हिं० दन्दान] [वि० दंदानेदार] दाँत के आकार की उभरी हुई नोकों की पंक्ति। जैसे—कंधी या आरे के दंदाने। अ० [हिं० दंद=द्वन्द्व] १. गरमी के प्रभाव में आना या पड़ना। गरम होना। जैसे—धूप में सारा घर दंदाने लगता है।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) स० सरदी से बचने के लिए आग के पास बैठकर या कंबल, रजाई आदि ओढ़कर अपना शरीर गरम करना। | 
			
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				| दंदानेदार					 : | वि० [फा०] जिसमें दंदाने हों। | 
			
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				| दंदारु					 : | पुं० [हिं० दंद+आरू (प्रत्य०)] छाला। फफोला। | 
			
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