शब्द का अर्थ
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दस :
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वि० [सं० दश] १. जो गिनती में नौ से एक अधिक हो। पाँच का दूना। २. अनेक। कई। जैसे—वहाँ दस तरह की बातें होती रहती हैं। पुं० १. नौ और एक के योग की सूचक संख्या। २. उक्त संख्या का सूचक अंक जो इस प्रकार लिखा जाता है—१॰. |
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दस-कंध :
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पुं० [सं० दश-स्कंध, हिं० कंध] रावण। |
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दस-तपा :
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पुं० [हिं० दस+तपना] जेठ महीने में मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दस दिन जिनके खूब तपने पर आगे चलकर अच्छी वर्षा की आशा की जाती है। |
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दस-मरिया :
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स्त्री० [हिं० दस+मढ़ना] एक साथ दस तख्ते लंबाई के बल में जोड़कर बरसाती नदी में तैरने के लिए बनाई जानेवाली एक तरह की बड़ी रचना। |
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दसखत :
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पुं०=दस्तखत।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दसठौन :
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पुं० [सं० दश+स्थान] बुंदेलखंड में प्रचलित एक रीति जिसमें बच्चा जनने के दसवें दिन प्रसूता स्त्री नहाकर सौरीवाले कोठरी से निकलकर दूसरी कोठरी या कमरे में जाती है। |
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दसन :
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पुं० [देश०] एक प्रकार की छोटी झाड़ी जो पंजाब, सिंध, राजपूताने आदि में होती है। दसरनी। पुं०=दशन।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दसन-बीन :
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पुं० [सं० ब० स०] अनार। |
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दसना :
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अ० [हिं० डासना] हिं० ‘दसाना’ का अ० रूप। बिछाया जाना। बिछना। स० दे० ‘दसाना’ (बिछाना)। पुं० बिछौना। बिस्तर। स० दे० ‘डसना’। |
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दसबदन :
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पुं०=दशवदन (रावण)। |
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दसमाथ :
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पुं० [हिं० दस+माथ] रावण। (यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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दसमी :
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स्त्री०=दशमी। |
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दसरंग :
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पुं० [हिं० दस+रंग] मालखंभ की एक प्रकार की कसरत। |
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दसरनी :
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स्त्री० दे० ‘दसन’ (झाड़ी)। |
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दसरान :
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पुं० [हिं० दस+रान ?] कुश्ती का एक पेंच। |
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दसवाँ :
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वि० [सं० दशम] गिनती में दस के स्थान पर आने, पड़ने या होनेवाला। जैसे—महीने का दसवाँ दिन। मुहावरा—दसवाँ द्वार खुलना=(क) मृत्यु के समय ब्रह्मांड (मस्तक का ऊपरी भाग) खुलना या फटना, जिसमें से होकर आत्मा का शरीर से निकलना माना जाता है। (ख) लाक्षणिक रूप में अक्ल या होशहवास गुम हो जाना। पुं० हिंदुओं में वह कृत्य जो किसी के मरने के दसवें दिन होता है। |
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दसहरा :
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पुं०=दशहरा। |
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दसहरी :
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पुं० [हिं० दसहरा] एक तरह का बढ़िया आम। |
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दसा :
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पुं० [हिं० दस] अग्रवाल वैश्यों के दो प्रधान भेदों मे से एक। (दूसरा भेद ‘बीसा’ कहलाता है।) स्त्री०=दशा।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दसांग :
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पुं०=दशांग (एक तरह की धूप)।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दसाना :
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स०=डसाना। (बिछाना)(यह शब्द केवल पद्य में प्रयुक्त हुआ है) |
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दसामय :
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पुं० [सं० दशन्-आमय, ब० स०] रुद्र। |
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दसारन :
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पुं०=दशार्ण। (दे०) |
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दसारी :
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स्त्री० [देश०] एक तरह का छोटा जल-पक्षी। |
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दसारुहा :
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स्त्री० [सं० दशन्+आ√रुह(उगना)+क—टाप्] कैवर्तिका नाम की लता जिसके पत्तों से तैयार किये हुए रंग के कपड़े रंगे जाते हैं। |
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दसार्णा :
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स्त्री० [सं० दसार्ण+अच्—टाप्] विंध्य पर्वत से निकली हुई धसान नामक नदी। |
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दसी :
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स्त्री० [सं० दशा या दशिका=कपड़े का छोर] १. कपड़े के थान, दुपट्टे, धोती आदि में लंबाई के बल में दोनों सिरों पर भिन्न रंगों के डोरों में बने हुए चिह्न जो थान के पूरे होने के सूचक होते हैं। छीर। २. ओढ़ने या पहनने के कपड़े का आंचल या पल्ला। ३. चिह्न। निशान। ४. बैल-गाडी में दोनों ओर लगी हुई पटरियाँ। ५. चमड़ा छीलने की राँपी। |
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दसेंई :
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पुं० [देश०] तेंदू का पेड़। |
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दसैं :
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स्त्री० [सं० दशमी, हिं० दसई] दशमी तिथि। (पूर्व) |
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दसोतरा :
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वि० [सं० दशोत्तर] गिनती में जो दस से अधिक हो। पुं० प्रति सौ में दस। क्रि० वि० दस प्रतिशत। |
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दसौंधी :
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पुं० [सं० दास=दानपत्र+बंदी=भाट] बंदियों या चारणों की एक जाति जो अपने को ब्राह्मण मानती है। ब्रह्मभट्ट। भाट। |
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दस्त :
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पुं० [सं० हस्त से फा०] १. हस्त। हाथ। पद—दस्तकार, दस्तखत, दस्तबरदार आदि। २. पेट में विकार होने के कारण निकलनेवाला असाधारण रूप से पतला मल। प्रायः पानी की तरह पतला शौच होने की क्रिया। मुहावरा—दस्त लगना=बार-बार बहुत पतला मल निकलना या शौच होना। |
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दस्त-बस्ता :
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अव्य० [पा० दस्त बस्तः] १. किसी के आगे हाथ बाँधे अर्थात् जोड़े हुए (प्रार्थना करना)। २. विनम्रतापूर्वक। |
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दस्तक :
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स्त्री० [फा००] १. हाथ से किया हुआ हलका आघात। २. ताली। ३. किसी को बुलाने के लिए उसके दरवाजे पर उक्त प्रकार से खटखटाने की क्रिया। क्रि० प्र०—देना। ४. अधिकारियों द्वारा किसी के नाम निकाला हुआ वह आज्ञा-पत्र जिसमें उससे अपना देन चुकाने के लिए कहा गया हो। क्रि० प्र०—भेजना। पद—दस्तक सिपाही=वह सिपाही जो किसी से मालगुजारी आदि वसूल करने या किसी को पकड़ने के लिए दस्तक (आज्ञा-पत्र) देकर भेजा जाय। मुहावरा—दस्तक माफ करना=(क) क्षमा करना। (ख) उत्तरदायित्व से मुक्त करना। ५. कहीं से कोई माल ले आने या ले जाने के लिए मिला हुआ वह अधिकारपत्र जो कुछ विशिष्ट स्थानों पर दिखाना पड़ता है। निकासी या राहदारी का परवाना। ६. कर। महसूल। क्रि० प्र०—लगना।—लगाना। ७. ऐसा आकस्मिक अनावश्यक काम जिसमें कुछ व्यय करना पड़े। मुहावरा—दस्तक बाँधना या लागना=व्यर्थ का व्यय ऊपर डालना। नाहक का खर्च जिम्मे लगाना या लेना। जैसे—तुमने यह चंदे की अच्छी दस्तक बाँध ली है। |
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दस्तकार :
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पुं० [फा०] [भाव० दस्तकारी] वह कारीगर जो हाथ से छोटे-मोटे उपकरणों की सहायता से (मशीनों से नहीं) चीजें तैयार करता हो। शिल्पी। |
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दस्तकारी :
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स्त्री० [फा०] १. हाथ से चीजें बनाकर तैयार करने का काम। २. इस प्रकार तैय़ार की हुई कोई वस्तु। |
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दस्तकी :
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स्त्री० [फा०] १. वह छोटी बही जो याददाश्त के लिए बात आदि टाँकने के काम आती है और प्रायः हर-दम पास रखी जाती है। २. बहेलियों का दस्ताना जो शिकारी पक्षियों के वार को रोकने के लिए हाथ में पहना जाता है। |
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दस्तखत :
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पुं० [फा०] १. किसी के हाथ के लिखे हुए अक्षर। २. (लेख के अंत में) हाथ से लिखा हुआ अपना नाम जो इस बात का सूचक होता है कि उक्त लेख मेरी इच्छा से लिखा गया है और मैं उससे अनुबद्ध होता हूँ। हस्ताक्षर। |
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दस्तखती :
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वि० [फा० दस्तखत] जिसपर दस्तखत हो। २. (लेख) जिस पर लिखने या लिखानेवाले का नाम उसी के हाथ का लिखा हो। हस्ताक्षरित। जैसे—दस्तखती चिट्ठी। |
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दस्तगीर :
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पुं० [फा०] [भाव० दस्तगीरी] किसी का हाथ विशेषतः संकट के समय किसी का हाथ पकड़ने अर्थात् उसका सहायक होनेवाला। |
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दस्तगीरी :
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स्त्री० [फा०] दस्तगीर अर्थात् सहायक होने की अवस्था या भाव। |
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दस्तंदाज़ :
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वि० [फा०] [भाव० दस्तंदाजी] बीच में हाथ डालने अर्थात् दखल देनेवाला। हस्तक्षेप करनेवाला। |
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दस्तंदाजी :
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स्त्री० [फा०] किसी काम में हाथ डालने की क्रिया या भाव। किसी होते हुए काम में की जाने वाली छेड़-छाड़ जो प्रायः अनुचित समझी जाती है। हस्तक्षेप। |
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दस्तपनाह :
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पुं० [फा०] चिमटा। |
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दस्तबरदार :
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वि० [फा०] [भाव० दस्तबरदारी] १. जिसने किसी वस्तु पर से अपना अधिकार या स्वत्व छोड़ दिया या हटा लिया हो। २. किसी चीज या बात से बिलकुल अलग रहनेवाला। |
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दस्तबरदारी :
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स्त्री० [फा०] किसी चीज से अपना अधिकार हटाकर सदा के लिए छोड या त्याग देने की क्रिया या भाव। |
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दस्तयाब :
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वि० [फा०] [भाव० दस्तयाबी] हाथ में आया या मिला हुआ। प्राप्त। हस्तगत। |
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दस्तर :
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स्त्री०=दस्तार (पगड़ी)। |
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दस्तरखान :
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पुं० [फा० दस्तरख्वान] वह कपड़ा जिसके ऊपर खाने के लिए भोजन के थाल आदि सजाये या रखे जाते हैं। |
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दस्ता :
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पुं० [फा० दस्तः] १. हाथ में पकड़ने या रखने की चीज। जैसे—गुल-दस्ता। २. औजारों, हथियारों आदि का वह अंश जो उन्हें काम में लाने या चलाने के समय हाथ से पकड़ा जाता है। बेंट। मूठ। जैसे—आरी, चाकू, तलवार या हथौड़ी का दस्ता। ३. किसी चीज का उतना अंश या भाग जो सहज में हाथ में रखा या लिया जा सकता हो। ४. कागज के २४ या २५ तावों की गड्डी। ५. हाथ में रखने का डंडा। सोंटा। ६. कबा, चोगे आदि में की वह घुंडी जो प्रायः बंद में लगी रहती है। ७. सिपाहियों या सैनिकों का छोटा दल। टुकड़ी। ८. चपरास। ९. गोट। मगजी। संजाफ। १॰. एक प्रकार का बगला जिसे हरगिला भी कहते हैं। पुं० दे० ‘जस्ता’ (कपड़ों आदि का)। |
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दस्ताना :
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पुं० [फा० दस्तानः] १. पंजे और हथेली में पहनने का बुना हुआ कपड़ा। हाथ का मोजा। २. उक्त प्रकार का लोहे का वह आवरण जो युद्ध के समय हाथों पर (उनकी रक्षा के लिए) पहना जाता था। ३. वह लंबी किर्च या सीधी तलवार जिसकी मूठ के ऊपर कलाई तक पहुँचनेवाला लोहे का आवरण लगा रहता है। |
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दस्तावर :
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वि० [फा० दस्त आवर] (औषध या खाद्य पदार्थ) जिसे खाने से दस्त आने लगे। रेचक। जैसे—हर्रे दस्तावर होती है। |
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दस्तावेज :
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स्त्री० [फा०] विधिक क्षेत्रों में, वह कागज जिस पर दो या अधिक व्यक्तियों के पारस्परिक लेन-देन, व्यवहार समझौते आदि की शर्ते लिखी हों और जिस पर संबद्ध लोगों के हस्ताक्षर प्रमाण स्वरूप अंकित हों। लेख्य। (डीड) जैसे—तमस्सुक, दानपत्र, बैनामा, रेहननामा आदि। |
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दस्तावेजी :
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वि० [फा० दस्तावेज] दस्तावेज-संबंधी। दस्तावेज का। जैसे—दस्तावेजी कागज। |
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दस्ती :
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वि० [फा० दस्त=हाथ] १. हाथ में रहने या होने अथवा उससे संबंध रखनेवाला। जैसे—दस्ती रूमाल। २. जो किसी व्यक्ति के हाथ दिया या भेजा गया हो। जैसे—दस्ती, खत, दस्ती वारंट। स्त्री० १. छोटा दस्ता। छोटी बेंट या मूठ। २. वह बत्ती या मशाल जो हाथ में लेकर चलते हों। ३. छोटा कलमदान। ४. वह इनाम या भेंट जो राजा-महाराज स्वयं अपने हाथ से सरदारों आदि को दिया करते थे। ५. कुश्ती का एक पेंच जिसमें पहलवान अपने विपक्षी की दाहिना हाथ दाहिने हाथ से अथवा बायाँ हाथ बाएं हाथ से पकड़कर अपनी ओर खींचता है और तब झटके से उसे गिरा या पटक देता है। |
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दस्तूर :
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पुं० [फा०] १. बहुत दिनों से चली आई हुई प्रथा या रीति। चाल। परिपाटी। २. कायदा। नियम। विधि। ३. पारसियों के धर्म-पुरोहितों की उपाधि जो दस्तूर (नियम या प्रथा) के अनुसार सब कृत्य करते-कराते हैं। ४. जहाज के वे छोटे पाल जो सबसे ऊपरवाले पाल के नीचे की पंक्ति में दोनों ओर होते हैं। (लश०) |
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दस्तूरी :
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वि० [फा०] दस्तूर अर्थात् नियम संबंधी। स्त्री० वह धन जो सौदा खरीद कर ले जानेवाले नौकर को दूकानदारों से (कोई सौदा लेनेपर) पुरस्कार रूप में मिलता है। |
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दस्पना :
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पुं० [फा० दस्तपनाह] चिमटा। (यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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समानार्थी शब्द-
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दस्म :
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पुं० [सं०√दस् (ऊपर फेंकना)+मक्] १. यजमान। २. चोर। ३. दुष्टि व्यक्ति। ४. अग्नि। |
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दस्यु :
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पुं० [सं०√दस्+युच्] [भाव० दस्युता] १. एक प्राचीन अनार्य जाति। २. अनार्य या म्लेच्छ जो पहले प्रायः यज्ञों में लूट-मार करके निर्वाह करते थे। ३. डाकू। लुटेरा। ४. खल। दुष्ट। |
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दस्युता :
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स्त्री० [सं० दस्यु+तल्+टाप्] १. दस्यु होने की अवस्था या भाव। २. डकैती। लुटेरापन। ३. क्रूरता और खलता। दुष्टता। |
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दस्युवृत्ति :
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स्त्री० [ष० त०] १. डकैती। लुटेरापन। २. चोरी। |
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समानार्थी शब्द-
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दस्युहन् :
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पुं० [सं० दस्यु√हन् (मारना)+क्विप्] (असुरों को मारनेवाले) इंद्र। |
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समानार्थी शब्द-
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दस्र :
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वि० [सं०√दस्+रक्] १. दोहरा। २. क्रूर। ३. ध्वंसक ४. असम्य। जंगली। पुं० १. दो की संख्या। २. दो का जोड़ा। युग्म। ३. अश्विनी कुमार। ४. शिशिर ऋतु। ५. गधा। |
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दस्सी :
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स्त्री० [सं० दशा या दशिका] थान के सिरे पर का अंश। छीर। |
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