शब्द का अर्थ
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दाँ :
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पुं० [सं० दाच् (प्रत्य०) जैसे एकदा] दफा। बार। बारी। वि० [फा०] जाननेवाला। ज्ञाता। (यौ० के अंत में) जैसे—फारसी-दाँ=फारसी भाषा जाननेवाला।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दाँई :
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वि०=दाईं। |
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दाँग :
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स्त्री० [फा०] १. छः रत्ती की तौल। २. किसी चीज का छठा भाग। ३. ओर। दिशा। पुं० [हिं० डूँगर] १. टीला। २. पहाड़ की चोटी। पुं० [हिं० डगा ?] नगाड़ा। |
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दाँगर :
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वि०, पुं०=डाँगर। |
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दाँगी :
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स्त्री० [सं० दंडक=डंडा] जुलाहों की कंघी में लगी रहनेवाली लकड़ी। |
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दाँज :
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स्त्री० [सं० उदाहार्य] १. तुलना। बराबरी। २. स्पर्धा। होड़।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दांड़ :
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वि० [सं० दण्ड+अण्] दंड से संबंध रखनेवाला। दंड का। |
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दांडक्य :
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पुं० [सं० दण्डक+ष्यञ्] ‘दंडक’ होने की अवस्था या भाव। (दे० ‘दंडक’) |
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दाँड़ना :
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स० [सं० दंडन] १. दंड या सजा देना। २. अर्थ दंड या जुरमाना लगाना। |
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दाँड़ा-मेड़ा :
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पुं०=डाँड़ामेड़ा। |
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दाँड़ाजिनिक :
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पुं० [सं० दण्डाजिन+ठञ्—इक] वह जो दंड और अजिन धारण करके अपना अर्थ-साधन करता फिरे। साधु के वेष में लोगों को धोखा देने या ठगनेवाला व्यक्ति। |
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दाँड़ी :
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स्त्री०=डाँड़ी। |
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दाँत :
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पुं० [सं० दंत, प्रा० दंद] १. अधिकतर रीढ़वाले प्राणियों के मुँह में नीचे और ऊपर की अर्ध-चंद्राकार पंक्तियों में के वे छोटे-छोटे अंश जो हड्डियों की तरह के और अंकुर के रूप में उठे हुए होते हैं और जिनसे वे काटने, खाने, चबाने, जमीन खोदने आदि का काम लेते हैं। विशेष—कुछ रीढ़वाले प्राणी ऐसे भी होते है जिनके गले, तालू या पेट में उक्त प्रकार के कुछ अंग या रचनाएँ होती है। २. मानव जाति के बालकों और वयस्कों के जबड़ों में मसूड़ों के साथ जुड़े हुए वे उक्त अंकुर या अंश जिनकी संख्या प्रायः ३२ (१६ नीचे और १६ ऊपर) होती है; और जिनसे खाने-चबाने आदि के सिवा कुछ वर्णों के उच्चारण में भी सहायता मिलती है। विशेष—अनेक मुहावरों के प्रसंगो में ‘दाँत’ कोई चीज पाने या लेने, क्रोध, दीनता, प्रसन्नता और प्रकट करने अथवा किसी को कष्ट या हानि पहुँचाने की प्रवृत्ति के भी प्रतीक अथवा सूचक होते हैं। मुहावरा—दाँत उखाड़ना=(क) मसूड़े से दाँत निकालकर अलग करना। (ख) किसी पर ऐसा आघात या प्रहार करना अथवा उसे दंड देना कि वह फिर कोई उपद्रव या दुष्टता करने के योग्य न रह जाय। (किसी से ) दाँत काटी रोटी होना=इतनी अधिक घनिष्ठ मित्रता या मेल-जोल होना कि एक दूसरे के साथ बैठकर एक थाली में भोजन करते हों। दांत काढ़ना=दाँत निकालना। (देखें नीचे) दाँत किरकिराना=कुछ खाने के समय दाँतों के नीचे कंकड़ी, रेत आदि पड़ने के कारण भोजन चबाने में बाधा होना। दाँत किरकिरे होना=प्रतियोगिता, विरोध आदि में कष्ट भोगते हुए बुरी तरह से विफल होना। (किसी के पास) दाँत कुरेदने को तिनका तक न होना=सर्वस्य नष्ट हो जाने के कारण बिलकुल कंगाल हो जाना। (किसी के) दाँत खट्टे करना=किसी को प्रतियोगिता, लड़ाई, विरोध आदि में बुरी तरह से परास्त करना। बुरी तरह से पूरा हराना। (किसी चीज पर) दाँत गड़ाना=कोई चीज अपने अधिकार में करने या पाने के लिए निरंतर उस पर दृष्टि लगाये रहना। दाँत चबाना=दाँत पीसना। (देखें नीचे) दाँत टूटना=(क) दाँत का अपने स्थान से निकलकर अलग होना। (ख) बुढ़ापा या वृद्धावस्था आना। (ग) किसी को कष्ट देने या हानि पहुँचाने की शक्ति से रहित या हीन होना। (किसी के) दाँत तोड़ना=किसी को ऐसी स्थिति में पहुँचाना कि वह कष्ट देने या हानि पहुँचाने के योग्य न रह जाय। (अपने) दाँत दिखाना=तुच्छता और निर्लज्जतापूर्वक हँसना। दाँत निकालना। (किसी क) दाँत दिखाना=इस प्रकार क्रोध प्रकट करना मानों काट ही लेगें या खी ही जायँगे। (पशुओं के) दाँत देखना=घोड़े, बैल आदि की अवस्था या उमर का अंदाज करने के लिए उनके दाँत गिनना। दाँत निकालना=ओछेपन से या निर्लज्जतापूर्वक हँसना। (किसी के आगे या सामने) दाँत निकालना=(क) बहुत ही दीन बनकर कोई प्रार्थना या याचना करना। गिड़गिड़ाना। (ख) तुच्छतापूर्वक अपनी अयोग्यता, असमर्थता या हीनता प्रकट करना। दाँत निपोरना=दाँत निकालना। (देखें ऊपर) दाँत पीसना=बहुत अधिक क्रोध में आकर दाँतों पर दाँत रखकर ऐसी मुद्रा दिखलाना कि मानों खा या चबा ही जायँगे। दाँत बनवाना=गिरे या टूटे हुए दाँतों के स्थान पर नये नकली दाँत बनवाकर लगवाना। दाँत बैठना या बैठ जाना=पक्षाघात, मिरगी, मूर्छा आदि रोगों के आक्रमण की दशा में पेशियों की स्तब्धता के कारण दाँतों की ऊपर ओर नीचेवाली पंक्तियों का परस्पर इस प्रकार मिल या सट जाना कि मुँह जल्दी न खुल सके। नीचे ऊपर के जबड़ों का सट जाना। दाँत मसलना या मिसना=दाँत पीसना। (देखें ऊपर) (किसी चीज पर) दाँत लगना=(क) दांत चुभने या घाव या निशान होना। (ख) (किसी चीज पर) दाँत गड़ना। (देखें ऊपर) (किसी चीज पर) दाँत लगाना=(क) दाँत गड़ाना या धँसाना। (ख) कोई चीज पाने के लिए उसकी घात या ताक में लगे रहना। दाँत से दांत बजना=बहुत अधिक सरदी लगने पर दाढ़ों का इस प्रकार काँपना कि नीचे और ऊपर के दाँत आपस में हलका कट-कट शब्द करते हुए टकराने या बजने लगें। (किसी चीज पर) दाँत होना=कोई चीज पाने या लेने की बहुत अधिक इच्छा होना। (किसी व्यक्ति पर) दाँत होना=(क) बदला चुकाने आदि के उद्देश्य से किसी पर क्रूर दृष्टि होना और उले हानि पहुँचाने की घात या ताक में रहना या होना। (ख) किसी से अनुचित लाभ उठाने की ताक में होना। दाँतों उँगली काटना या दबाना=बहुत अधिक अचरज में आना। चकित हो जाना। दंग रह जाना। (किसी के) दाँतों चढ़ना=ऐसी स्थिति में होना कि कोई हर दम कोसता, गालियाँ देता या बुरा मानता रहे। दाँतों तले उँगली दबाना=दाँतों उँगली काटना या दबाना। (देखें ऊपर) दाँतों धरती पकडकर=(क) अत्यंत दीनता और नम्रतापूर्वक (ख) अत्यंत कष्ट और विवशता या संकीर्णता से। (बच्चे का) दाँतों पर आना या होना=उस अवस्था को पहुँचना जिसमें दाँत निकलनेवाले हों या निकलने लगे हों। दाँतों पर मैल तक न होना=अत्यंत निर्धन होना। कंगाल या बहुत गरीब होना। दाँतों पसीना आना=इतना अधिक परिश्रम होना कि मानों दाँतों तक में पसीना आ गया हो। (किसी का) दाँतो में जीभ की तरह होना=उसी प्रकार सब ओर से विरोधियों या शत्रुओं से घिरे रहना जिस प्रकार जीभ हर तरफ दाँतों से घिरी रहती है। दाँतों मे तिनका गहना, पकड़ना या लेना=दया के लिए उसी प्रकार गौ बनकर अर्थात् दीन-भाव से प्रार्थना या याचना करना जिस प्रकार गौ मुँह में तिनका लेकर सामने आती है। (कोई चीज) दाँतों से उठाना या पकड़ना=बहुत कंजूसी से बचाकर इकट्ठा या संचित करना। (किसी के) तालू में दाँत जमना=दुर्भाग्य के कारण किसी का इस प्रकार आवश्यकता से अधिक उद्दंड, क्रूर या स्वेच्छाचारी होना कि लोगों को उसके पतन या विनाश के दिन पास आते जान पड़े। ३. कुछ विशिष्ट पदार्थों में उक्त आकार-प्रकार के वे अंश जो एक पंक्ति में अंकुरों के रूप में उठे, उभरे या निकले हुए होते हैं। दंदाना। दाँता। जैसे—आरी या कंघी के दाँत, कुछ पौधों के पत्तों में दोनों ओर निकले हुए दाँत, यंत्रों में के चक्करों या पहियों के दाँत। ४. उक्त प्रकार का कोई चिह्न या रूप। मुहावरा—(किसी वस्तु का) दाँत निकालना=जोड़, तल, सीअन का इस प्रकार उखड़, उधड़ या फट जाना कि जगह-जगह दाँत की तरह के चिन्ह दिखाई देने लगे। जैसे—इस जूते ने तो दो महीनों मे दाँत निकाल दिये। |
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दाँत :
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वि० [सं० दान्त] १. जिसका दमन किया गया हो। दबाया हुआ। २. वस में किया या लाया हुआ। ३. जिसने इंद्रियों को वश में कर लिया हो। जितेंद्रिय। वि० [सं० दन्त से] १. दाँत का। दाँत-संबंधी। २. दाँत का बना हुआ। पुं० १. मैनफल। २. पहाड़ के ऊपर का जलाशय या बावली। ३. विदर्भ के राजा भीमसेन के दूसरे पुत्र जो दमयंती के भाई थे। |
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दाँत-घुँघनी :
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स्त्री० [हिं० दाँत+घुँघनी] पोस्ते के दाने की घुँघनी जो बच्चे का पहला दाँत निकलने पर बाँटी जाती है। |
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दाँतना :
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अ० [हिं० दाँत] १. दांतों से युक्त होना। २. जवान होना। ३. किसी अस्त्र के ताँतों का कुंठित होना। |
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दाँतली :
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स्त्री० [हिं० डाट] डाट। काग। |
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दाँता :
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पुं० [हिं० दाँत] दाँत के आकार का बड़ा और नुकीला सिरा। दंदाना। मुहावरा—दाँता पड़ना=किसी हथियार की धार में गुठले होने के कारण कहीं कुछ उभार और कहीं कुछ गड्ढे हो जाना, जिससे वह ठीक काम करने के योग्य नहीं रह जाता। |
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दांता :
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स्त्री० [सं० दान्त्√दम् (दमन)+क्त+टाप्] एक अप्सरा का नाम (महाभारत) |
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दाँता-किटकिट :
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स्त्री० [हिं० दाँत+किटकिट(अनु०)] १. प्रायः होती रहनेवाली कहा-सुनी या जबानी लड़ाई। कलह। |
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दाँता-किलकिल :
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स्त्री०=दाँता-किटकिट। |
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दांति :
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स्त्री० [सं०√दम् (वश में करना)+क्तिन्], [वि० दांत] १. इंद्रियों को वश में रखना। इंद्रियनिग्रह। २. अधीनता। वश्यता। ३. नम्रता। विनय। |
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दांतिक :
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वि० [सं० दंत+ठक्—इक] १. दाँत का बना हुआ। २. हाथी दाँत का बना हुआ। |
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दाँतिया :
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पुं० [?] रेह का नमक जो पीने के तंबाकू में उसे तेज करने के लिए मिलाया जाता है। |
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दाँती :
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स्त्री० [सं० दांत्री] घास, फसल आदि काटने की हँसिया। स्त्री० [?] १. किनारे पर का वह खूँटा जिसमें रस्से से नाव बाँधी जाती है। २. काली भिड़। ३. छोटा दरी। स्त्री० [हिं० दाँत] दंतावलि। बत्तीसी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) मुहावर—दाँती बैठना या लगना=दाँत बैठना या बैठ जाना। (दे० ‘दाँत’ के अंतर्गत मुहा०) |
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दाँना :
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सं० [सं० दमन] १. कटी हुई फसल के डंठलों से दाने या बीज अलग करना। २.उक्त काम के लिए डंठलों को बैलों से रौंदवाना। दँवरी करना। |
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दांपत्य :
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वि० [सं० दम्पती+यञ्] वि० दंपति-संबंधी। दंपती या पति और पत्नी में होनेवाला। जैसे—दांपत्य प्रेम। पुं० १. दंपत्ति होने की अवस्था या भाव। २. एक प्रकार का अग्निहोत्र जो दंपती अर्थात् पति और पत्नी दोनों मिलकर करते हैं। |
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दांभ :
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वि० [सं० दम्भ+अण्] दांभिक। (दे०) |
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दांभिक :
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वि० [सं० दम्भ+ठक्—इक] १. जिसे दंभ हो। दंभ करनेवाला। २. अभिमानी। घमंडी। ३. ठग। वंचक। ४. पाखंडी। ५. धोखेबाज। पुं० बगला। (पक्षी) |
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दाँयाँ :
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वि०=दाहिना।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दाँव :
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पुं० [सं० दा (दाच्), जैसे—एकदा] १. दफा। बार। मरतबा। २. क्रम, परम्परा, योग्यता आदि की दृष्टि कोई काम करने के लिए आनेवाली पारी। बारी। जैसे—जब हमारा दाँव आवेगा, तब हम भी समझ लेगें। ३. खेल में प्रत्येक खेलाड़ी के खेलने का अवसर या समय जो एक दूसरे के पीछे क्रम से आता है। खेलने की बारी। मुहावरा—दाँव देना=लड़कों का खेल में हारने पर नियत दंड भोगना या परिश्रम करना। दाँव पूरना= (क) ठीक तरह से बाजी खेलकर अपना पक्ष निभाना। (ख) अपना कर्त्तव्य पूरा करना। उदाहरण—अब की बार जो होय पुकारा कहहिं कबीर ताकों पूर दाँव।—कबीर। दाँव लेना=खेल में हारनेवाले से नियत दंड भोगवाना या परिश्रम कराना। ४. जुए के खेलों में, कौडीं, पाँसे आदि के पड़ने का वह रूप या स्थिति जिससे किसी खेलाड़ी या पक्ष की जीत होती है। हाथ। मुहावरा—(किसी का) दाँव कहना=किसी के कथन यों ही समर्थन करना। हाँ में हाँ मिलना। उदाहरण—रहिमन जौ रहिबौ चहै, कहै वाहि कै दाँव।—रहीम। (अपना) दाँल चलाना=खेल में अपनी पारी या बारी आने पर कौड़ी, गोटी, पत्ता या पाँसा आगे बढ़ाना, फेंकना या सामने रखना। जैसे—अब तुम्हारी बारी है, तुम अपना दाँव चलो। दाँव पर (कुछ) रखना या लगाना=(क) जीत-हार के लिए कुछ धन अथवा कोई वस्तु सामने रखना। किसी चीज की बाजी लगाना। जैसे—(क) उसने ताव में आकर सौ रुपये का एक नोट (या सोने का छल्ला) दाँव पर रख (या लगा) दिया। (ख) कोई ऐसा जोखिम या साहस का काम करना जिसका परिणाम या फल बिलकुल अनिश्चित हो। जैसे—इस रोजगार (या सौदे) में उन्होने अपनी सारी संपत्ति दाँव पर रख दी थी। दाँव फेकना=अपनी बारी आने पर कौडी या पाँसा फेंकना। ५. किसी काम या बात के लिए अनुकूल या उपयुक्त अवसर, समय या स्थिति। ठीक जगह मौका, या हालत। जैसे—वहाँ से उसके बच निकलने का कोई दाँव नहीं रह गया था। मुहावरा—दाँव चूकना=ठीक अवसर या मौके पर आवश्यक या उचित काम करने से रह जाना या वंचित होना। दाँव ताकना=अवसर या मौके की ताक में रहना। दाँव पड़ना=अनुकूल या उपयुक्त अवसर प्राप्त होना। उदाहरण—पूरब पुन्यनि दाँव पर्यौ अब राज करौ...।—कबीर। दाँव लगना=उपयुक्त अवसर या मौका हाथ आना। ६. अपना काम निकालने का अच्छा ढंग या युक्ति। सोच-समझकर निकाली हुई तरकीब। मुहावरा— (किसी के) दाँव पर चढ़ना=किसी को अपनी युक्ति के जाल में इस प्रकार पडऩा या फँसना कि उसका उद्देश्य सिद्ध हो जाय। (किसी को) अपने दाँव पर चढ़ना या लाना=किसी को अपनी युक्ति के जाल में इस प्रकार फँसाना कि सहज में उससे काम निकाला जा सके। जैसे—कुश्ती में हर पहलवान अपने प्रतिद्वंद्वी को दाँव पर लाने की तरकीब करता है। (किसी के) दाँव में आना=(किसी के) दाँव पर चढ़ना। (देखें ऊपर) ७. अपना काम निकालने का ऐसा ढंग या युक्ति जिसमें कुछ कुटिलता या चालबाजी हो। कपट या छल से भरी हुई तरकीब। चालाकी। मुहावरा—(किसी के साथ) दाँव करना या खेलना=चालाकी से भरी हुई तरकीब करना। चालबाजी या धूर्त्तता करना। (किसी से) दाँव लेना=जिसने बुरा व्यवहार किया हो, उपयुक्त अवसर लाने पर उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार करना। बदला चुकाना, निकालना या लेना। विशेष—यद्यपि इस शब्द का उच्चारण सदा ‘दाँवँ’ ही होता है; फिर भी लिखने में ‘दाँव’ रूप ही प्रशस्त और शिष्ट-सम्मत है। |
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समानार्थी शब्द-
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दाँवना :
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स०=दाँना। |
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दाँवनी :
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स्त्री० १.=दावनी। (गहना) २.=दँवरी। ३.=दाँवरी।(यह शब्द केवल स्थानिक रूप में प्रयुक्त हुआ है) |
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दाँवरी :
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स्त्री० [सं० दाम] रस्सी। डोरी। स्त्री०=दँवरी। |
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