दृष्टि-बंध/drshti-bandh

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दृष्टि-बंध  : पुं० [ष० त०] १. इंद्रजाल, सम्मोहन आदि के द्वारा किया जानेवाला ऐसा अभिचार जिसके फल-स्वरूप लोगों को कुछ का कुछ दिखई पड़ने लगता हो। २. हाथ की ऐसी चालाकी जो दूसरों को धोखा देने के लिए की जाय।
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दृष्टि-बंधु  : पुं० [ष० त०] खद्योत। जुगनूँ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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