द्रोह/droh

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द्रोह  : पुं० [सं०√द्रुह+घञ्] [स्त्री० द्रोही] १. मन की वह वृत्ति जिसके फलस्वरूप मनुष्य किसी से असंतुष्ट और दुःखी होकर उसका अहित करते हुए उससे बदला चुकाना चाहता है। २. द्वेषवश षड्यंत्र रचकर किसी को हानि पहुँचाने की क्रिया या भाव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
द्रोहाट  : पुं० [सं० द्रोह√अट् (गति)+अच्] १. ऐसा व्यक्ति जो ऊपर से देखने पर भला या सीदा-सादा जान पड़े, परन्तु जो अंदर से कपटी या दुष्ट हो। पाखण्डी। २. झूठा व्यक्ति। ३. शिकारी। ४. वेद की एक शाखा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
द्रोही (हिन्)  : वि० [सं०√द्रुह+घिनुण्] [स्त्री० द्रोहिणी] १. द्रोह करनेवाला। किसी के विरुद्ध षडयंत्र रचनेवाला। पुं० वैरी। शत्रु।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
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