शब्द का अर्थ
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परिमल :
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पुं० [सं० परि√मल् (धारण)+अच्] १. अच्छी तरह मलना। २. शरीर में सुगंधित द्रव्य मलना या लगाना। ३. उक्त प्रकार से शरीर में मले या लगाये हुए पदार्थों से निकलनेवाली सुगंध। ४. खुशबू। सुगंध। सुवास। ५. पुष्पों आदि से निकलनेवाली वह सुगंध जो चारों ओर दूर तक फैलती हो। ६. मैथुन। संभोग। ६. पंडितों या विद्वानों की मंडली या समुदाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमल :
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पुं० [सं० परि√मल् (धारण)+अच्] १. अच्छी तरह मलना। २. शरीर में सुगंधित द्रव्य मलना या लगाना। ३. उक्त प्रकार से शरीर में मले या लगाये हुए पदार्थों से निकलनेवाली सुगंध। ४. खुशबू। सुगंध। सुवास। ५. पुष्पों आदि से निकलनेवाली वह सुगंध जो चारों ओर दूर तक फैलती हो। ६. मैथुन। संभोग। ६. पंडितों या विद्वानों की मंडली या समुदाय। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमलज :
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वि० [सं० परिमल√जन् (उत्पन्न होना)+ ड] परिमल अर्थात् मैथुन से प्राप्त होनेवाला (सुख)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमलज :
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वि० [सं० परिमल√जन् (उत्पन्न होना)+ ड] परिमल अर्थात् मैथुन से प्राप्त होनेवाला (सुख)। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमलित :
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भू० कृ० [सं० परिमल+इतच्] फूलों आदि की सुगंध से सुगंधित किया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिमलित :
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भू० कृ० [सं० परिमल+इतच्] फूलों आदि की सुगंध से सुगंधित किया हुआ। |
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समानार्थी शब्द-
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