शब्द का अर्थ
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परिवर्ह :
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पुं० [सं० परि√वर्ह (उत्कर्ष)+घञ्] १. चँवर, छत्र आदि राजत्व की सूचक वस्तुएँ। २. राजाओं के दास आदि। ३. घर, कमरे आदि को सजाने के लिए उसमें रखी जानेवाली वस्तुएँ। सजावट की चीजें। ४. गृहस्थी में काम आनेवाली वस्तुएँ। ५. सम्पत्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिवर्ह :
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पुं० [सं० परि√वर्ह (उत्कर्ष)+घञ्] १. चँवर, छत्र आदि राजत्व की सूचक वस्तुएँ। २. राजाओं के दास आदि। ३. घर, कमरे आदि को सजाने के लिए उसमें रखी जानेवाली वस्तुएँ। सजावट की चीजें। ४. गृहस्थी में काम आनेवाली वस्तुएँ। ५. सम्पत्ति। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिवर्हण :
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पुं० [सं० परि √वर्ह+ल्युट्—अन] १. अनुचर वर्ग। २. वेश-भूषा। पोशाक। ३. वृद्धि। ४. पूजा। |
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समानार्थी शब्द-
उपलब्ध नहीं |
परिवर्हण :
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पुं० [सं० परि √वर्ह+ल्युट्—अन] १. अनुचर वर्ग। २. वेश-भूषा। पोशाक। ३. वृद्धि। ४. पूजा। |
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समानार्थी शब्द-
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